Introduction
कक्षा 5 की वीणा हिंदी पुस्तक न केवल भाषा सिखाने का माध्यम है, बल्कि यह बाल मन को छू लेने वाली कहानियों, कविताओं और भावों से भरपूर है। इस पुस्तक के प्रत्येक पाठ में कल्पना, संस्कृति, नैतिक शिक्षा और रचनात्मकता का सुंदर समावेश है। इस ब्लॉग मेंआपको सभी अध्यायों पर आधारित विस्तृत पाठ cgtlयोजनाएँ मिलेंगी, जो कक्षा शिक्षण को रोचक, प्रभावशाली और मूल्यपरक बनातasTHER LESSON PLANS OF CLASS 5TH
पाठ योजना
अध्याय 1 : किरण
1. संकल्पना (Concept)
- प्रकृति और मानव के बीच संवाद की कल्पना।
- सूर्य की किरणों का वैज्ञानिक और काव्यात्मक दृष्टिकोण।
- बच्चों की जिज्ञासा और प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन।
- भाषा कौशल: तुकांत शब्द, समानार्थी शब्द, और विराम चिह्नों का प्रयोग।
- दिन-रात के बदलाव की वैज्ञानिक समझ।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
- विद्यार्थी कविता की पंक्तियों का अर्थ समझकर उसे अपने शब्दों में व्यक्त करते हैं।
- वे प्रकृति और सूर्य की किरणों के महत्व को पहचानते हैं।
- समानार्थी और विलोम शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाते हैं।
- विराम चिह्नों (जैसे — ",", "!", "।") का सही उपयोग करते हैं।
- दिन-रात के बनने की प्रक्रिया को सरल शब्दों में समझाते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. प्रश्नोत्तरी: कविता की पंक्तियों पर चर्चा करते हुए बच्चों से प्रश्न पूछें, जैसे — "किरण ने दूसरी दुनिया में जाने की बात क्यों कही?"
2. समूह गतिविधि: बच्चों को समूह में बाँटकर "सूर्य और पृथ्वी" का मॉडल बनाने को कहें।
3. भाषा खेल: समानार्थी शब्दों का मिलान करवाएँ (जैसे — नभ = आकाश, अंबर)।
4. कल्पना आधारित लेखन: "यदि मैं किरण होता/होती..." विषय पर 5 वाक्य लिखें।
5. विज्ञान एकीकरण: वीडियो लिंक (NCERT Official) के माध्यम से दिन-रात के बनने की प्रक्रिया दिखाएँ।
6. रोल-प्ले: बच्चे किरण और बालक की भूमिका निभाकर संवाद बोलें।
7. कला एकीकरण: सूर्य, चाँद, और तारों का रंगीन चित्र बनवाएँ।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration)
- विज्ञान: पृथ्वी के घूर्णन और सूर्य की किरणों की भूमिका।
- गणित: समय (दिन-रात) की गणना और अवधि।
- कला: प्रकृति से जुड़े चित्र बनाना।
- सामाजिक विज्ञान: विभिन्न संस्कृतियों में सूर्य की पूजा की परंपराएँ।
5. मूल्यांकन (Assessment)
- मौखिक:
- कविता की कोई एक पंक्ति सुनाएँ और उसका अर्थ बताएँ।
- "आपको कैसे पता चलता है कि सुबह हो गई?" जैसे प्रश्न पूछें।
- लिखित:
- समानार्थी शब्दों की सूची बनाएँ (जैसे — हवा = वायु, पवन)।
- "किरण के कार्य" पर 5 वाक्य लिखें।
- व्यवहारात्मक:
- कक्षा में सहयोग और चर्चा में भागीदारी।
- प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता दिखाना (जैसे — पेड़-पौधों की देखभाल)।
6. संसाधन (Resources)
- ICT: एनसीईआरटी का वीडियो (रात और दिन की प्रक्रिया)।
- पुस्तकालय: सूर्य, चाँद, और तारों से जुड़ी कहानियों की पुस्तकें।
- श्रव्य-दृश्य: कविता का ऑडियो रिकॉर्डिंग।
- प्राकृतिक संसाधन: कक्षा में पौधे लगाकर उनकी देखभाल करना।
7. 21वीं सदी के कौशल (21st Century Skills)
- आलोचनात्मक चिंतन: "यदि किरण न आए तो क्या होगा?" पर विचार-विमर्श।
- रचनात्मकता: किरण के साथ दूसरी दुनिया की कल्पना करके कहानी लिखना।
- सहयोग: समूह में पृथ्वी-सूर्य मॉडल बनाना।
- डिजिटल साक्षरता: वीडियो देखकर जानकारी एकत्र करना।
8. विस्तार/वास्तविक जीवन अनुप्रयोग (Extension)
- प्रोजेक्ट: अपने घर में सुबह-शाम के समय की फोटो लेकर अंतर बताएँ।
- गृहकार्य: पेड़-पौधों को पानी देने और उनकी वृद्धि का चार्ट बनाएँ।
- समुदाय से जुड़ाव: स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र भ्रमण या विशेषज्ञ से बातचीत।
शिक्षक संकेत:
- कविता को भावभीनी आवाज़ में पढ़कर सुनाएँ ताकि बच्चे कल्पना कर सकें।
- विज्ञान और कला को जोड़कर सीखने को रोचक बनाएँ।
- प्रत्येक बच्चे की भागीदारी सुनिश्चित करें, विशेषकर शर्मीले बच्चों को प्रोत्साहित करें।
पाठ योजना
अध्याय 2 : न्याय की कुर्सी
1. संकल्पना (Concept)
- न्याय और ईमानदारी का महत्व।
- बच्चों की नैतिक समझ और निर्णय लेने की क्षमता का विकास।
- पौराणिक कथाओं (विक्रमादित्य) और आधुनिक संदर्भ में न्याय की तुलना।
- भाषा कौशल: संज्ञा, विशेषण, और विराम चिह्नों का प्रयोग।
- सामाजिक मूल्य: सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, और साहस।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
- विद्यार्थी कहानी का सारांश अपने शब्दों में बताते हैं।
- न्याय और ईमानदारी के उदाहरण देकर उनके महत्व को समझाते हैं।
- संज्ञा और विशेषण शब्दों की पहचान करके वाक्य बनाते हैं।
- विराम चिह्नों (जैसे — " ", !, ?) का सही प्रयोग करते हैं।
- सिंहासन बत्तीसी जैसी पारंपरिक कथाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. कहानी वाचन: शिक्षक भावपूर्ण ढंग से कहानी सुनाएँ, बच्चे भूमिकाएँ (राजा, लड़का, मूर्ति) निभाएँ।
2. चर्चा: "क्या राजा को सिंहासन पर बैठने का अधिकार मिलना चाहिए था?" पर वाद-विवाद।
3. रोल-प्ले: बच्चे "न्यायालय" का दृश्य बनाकर छोटे-छोटे मामलों का निपटारा करें।
4. भाषा खेल: संज्ञा-विशेषण का पासा फेंककर वाक्य बनाएँ (जैसे — "सुंदर सिंहासन")।
5. कला एकीकरण: कागज़ से अपनी "न्याय कुर्सी" डिज़ाइन करें और उसके गुण लिखें।
6. पुस्तकालय गतिविधि: सिंहासन बत्तीसी की अन्य कहानियाँ ढूँढ़कर सुनाएँ।
7. लिखित अभ्यास: "यदि मैं न्यायाधीश होता/होती..." विषय पर अनुच्छेद लिखें।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration)
- इतिहास: राजा विक्रमादित्य और उनके न्याय प्रणाली के बारे में जानकारी।
- नागरिक शास्त्र: आधुनिक न्यायालयों की भूमिका और मौलिक अधिकार।
- कला: पौराणिक मूर्तियों और सिंहासन के चित्र बनाना।
- नाटक: कहानी को नाटक के रूप में प्रस्तुत करना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
- मौखिक:
- कहानी से संबंधित प्रश्न (जैसे — "मूर्तियों ने राजा से क्या पूछा?")।
- "आप न्याय कैसे करेंगे?" पर संक्षिप्त भाषण।
- लिखित:
- विशेषण शब्दों की सूची बनाएँ (जैसे — गंभीर, सुंदर, बुद्धिमान)।
- "न्याय की कुर्सी" का नया अंत लिखें।
- व्यवहारात्मक:
- समूह चर्चा में सहयोग और तर्कसंगत विचार रखना।
- कक्षा में छोटे विवादों को निष्पक्षता से सुलझाने का प्रयास।
6. संसाधन (Resources)
- ICT: राजा विक्रमादित्य के न्याय से जुड़े वीडियो (YouTube)।
- पुस्तकालय: सिंहासन बत्तीसी, पंचतंत्र की पुस्तकें।
- श्रव्य-दृश्य: कहानी का ऑडियो ड्रामा।
- हस्तनिर्मित: कार्डबोर्ड से सिंहासन मॉडल बनाना।
7. 21वीं सदी के कौशल (21st Century Skills)
- आलोचनात्मक चिंतन: "क्या न्याय के लिए सिंहासन ज़रूरी है?" पर चर्चा।
- सहयोग: समूह में नाटक तैयार करना।
- रचनात्मकता: अपनी "आदर्श न्याय व्यवस्था" की रूपरेखा बनाना।
- डिजिटल साक्षरता: ऑनलाइन स्रोतों से न्याय से जुड़े उदाहरण खोजना।
8. विस्तार/वास्तविक जीवन अनुप्रयोग (Extension)
- प्रोजेक्ट: स्थानीय न्यायालय या पंचायत का भ्रमण कर न्याय प्रक्रिया समझना।
- गृहकार्य: परिवार में किसी विवाद का निष्पक्ष समाधान ढूँढ़कर लिखना।
- सामुदायिक गतिविधि: "न्याय" विषय पर पोस्टर बनाकर स्कूल में प्रदर्शित करना।
शिक्षक संकेत:
- कहानी को नाटकीय अंदाज़ में सुनाएँ ताकि बच्चे मूर्तियों के प्रश्नों का महत्व समझ सकें।
- बच्चों को अपने जीवन से जुड़े न्याय के उदाहरण (जैसे — खेल में नियम तोड़ना) देने को प्रोत्साहित करें।
- संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करते समय सभी की राय को सम्मान दें।
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पाठ योजना
अध्याय 3 : चाँद का कुर्ता
1. संकल्पना (Concept)
- चाँद की बदलती आकृतियों और प्रकृति के साथ उसके संबंध की कल्पना
- मौसम (विशेषकर सर्दी) के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना
- माता-पिता के प्रति बच्चों की जिद और उनकी देखभाल को समझना
- भाषाई कौशल: मुहावरों, पुनरुक्ति शब्दों (जैसे- ठिठुर-ठिठुर) का प्रयोग
- कल्पनाशीलता: चाँद के परिप्रेक्ष्य से सोचने का अभ्यास
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
- विद्यार्थी चाँद की विभिन्न आकृतियों और उसके कारणों को समझते हैं
- कविता में प्रयुक्त भावनात्मक पहलुओं (जिद, सर्दी की पीड़ा) को पहचानते हैं
- "भर", "ठिठुर-ठिठुर" जैसे शब्दों का सही प्रयोग कर वाक्य बनाते हैं
- चाँद और सूर्य से संबंधित वैज्ञानिक तथ्यों को सरल भाषा में बताते हैं
- अपने अनुभवों को कल्पना के साथ काव्यात्मक ढंग से व्यक्त करते हैं
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. कविता पाठ: शिक्षक नाटकीय अंदाज में कविता सुनाएँ, बच्चे चाँद और माँ की भूमिका निभाएँ
2. विज्ञान एकीकरण:
o चंद्रमा के घटने-बढ़ने (कला) की प्रक्रिया को चार्ट/मॉडल से समझाना
o "क्यों चाँद का आकार बदलता है?" पर संक्षिप्त वीडियो प्रदर्शन
3. भाषा गतिविधि:
o पुनरुक्ति शब्दों (जैसे- टप-टप, धड़-धड़) की सूची बनाकर वाक्य रचना
o "यदि मैं चाँद का दर्जी होता..." विषय पर काल्पनिक संवाद लेखन
4. कला एकीकरण:
o विभिन्न आकृतियों में चाँद के चित्र बनाना
o कागज/कपड़े से चाँद के लिए कुर्ता डिजाइन करना
5. गणित एकीकरण:
o चंद्र कलाओं को अंशों (1/8, 1/4) में समझाना
o चाँद के बदलते आकार का कैलेंडर बनाना
6. नाट्यकरण:
o "चाँद और दर्जी" का हास्य संवाद तैयार कर अभिनय
7. परियोजना कार्य:
o "मेरा पसंदीदा मौसम" विषय पर पोस्टर बनाना
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration)
- विज्ञान: चंद्रमा की गतियाँ और कलाएँ
- गणित: आकृतियों और अंशों की समझ
- सामाजिक विज्ञान: विभिन्न संस्कृतियों में चंद्रमा का महत्व
- कला एवं शिल्प: रचनात्मक डिजाइनिंग
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक:
- चाँद के बदलते आकार का कारण बताएँ
- "जब मैं जिद्दी होता हूँ..." विषय पर संक्षिप्त भाषण
लिखित:
- "ठिठुर-ठिठुर" जैसे 5 शब्द लिखकर वाक्य बनाएँ
- चाँद और सूर्य में 3 अंतर लिखें
प्रायोगिक:
- चंद्र कलाओं का मॉडल बनाना
- विभिन्न मौसमों के लिए कपड़ों की सूची तैयार करना
व्यवहारात्मक:
- समूह गतिविधियों में सहयोग
- कल्पनाशील प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति
6. संसाधन (Resources)
- ICT: चंद्रमा की गतियों का 3D मॉडल/एनीमेशन
- पुस्तकालय: चाँद से संबंधित लोककथाओं की पुस्तकें
- श्रव्य-दृश्य: कविता का संगीतमय पाठ
- हस्तनिर्मित: क्ले/पेपर से चंद्रमा मॉडल
7. 21वीं सदी के कौशल (21st Century Skills)
- आलोचनात्मक चिंतन: "क्या चाँद को वास्तव में कुर्ते की आवश्यकता है?"
- रचनात्मकता: चाँद के लिए अभिनव कपड़ों का डिजाइन
- सहयोग: समूह में चंद्र कलाओं का मॉडल तैयार करना
- वैज्ञानिक साक्षरता: खगोलीय घटनाओं को समझना
8. विस्तार/वास्तविक जीवन अनुप्रयोग (Extension)
- प्रोजेक्ट: एक माह तक चंद्रमा का अवलोकन कर चार्ट बनाना
- गृहकार्य: परिवार के सदस्यों से चाँद से जुड़ी लोककथाएँ एकत्र करना
- सामुदायिक गतिविधि: रात्रि आकाश अवलोकन कार्यक्रम आयोजित करना
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पाठ योजना
अध्याय 4 : साङकेन (निबंध)
1. संकल्पना (Concept)
1. पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विविधता का परिचय
2. सामुदायिक उत्सवों का सामाजिक महत्व
3. परंपरा और आधुनिकता का समन्वय
4. पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा
5. बहुसांस्कृतिक समाज में एकता
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. छात्र साङकेन त्योहार का महत्व समझते हैं
2. विभिन्न संस्कृतियों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं
3. वर्णनात्मक शैली में अनुच्छेद लिखते हैं
4. सामूहिक उत्सवों के लाभों को पहचानते हैं
5. पर्यावरण-अनुकूल उत्सव मनाने के तरीके सुझाते हैं
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
2. प्रारंभिक चर्चा: “हमारे त्योहार और साङकेन” विषय पर संवाद
3. मल्टीमीडिया प्रस्तुति: साङकेन उत्सव के वीडियो क्लिप दिखाना
4. समूह कार्य: पत्तियों से पारंपरिक डिजाइन बनाना
5. रोल प्ले: शोभायात्रा और जल अभिषेक का नाटकीय अभिनय
6. मानचित्र कार्य: अरुणाचल प्रदेश को चिह्नित करना
7. सृजनात्मक लेखन: “मेरा आदर्श उत्सव” विषय पर अनुच्छेद
8. तुलनात्मक अध्ययन: विभिन्न नववर्ष उत्सवों की तुलना
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण
1. सामाजिक विज्ञान: सांस्कृतिक विविधता और परंपराएँ
2. विज्ञान: पर्यावरण संरक्षण के तरीके
3. कला: पारंपरिक डिजाइन और शिल्प
4. गणित: उत्सवों के आँकड़े और सर्वेक्षण
5. नागरिक शास्त्र: सामुदायिक सद्भाव
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक:
- साङकेन के मुख्य रीति-रिवाज बताइए
- “हमारे त्योहारों में जल का महत्व” पर संक्षिप्त भाषण
लिखित:
- साङकेन पर 10 पंक्तियाँ लिखें
- “पर्यावरण-अनुकूल उत्सव” विषय पर अनुच्छेद
व्यवहारात्मक:
- समूह कार्य में सहयोग
- सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान
स्तरानुसार प्रश्न:
- बुनियादी: साङकेन कहाँ मनाया जाता है?
- मध्यम: साङकेन और दिवाली में दो अंतर बताइए
- उच्च: “हमारे समाज में उत्सवों की भूमिका” पर विचार
6. संसाधन (Resources)
1. ICT: साङकेन उत्सव के वीडियो (YouTube)
2. ऑडियो-विजुअल: पारंपरिक वेशभूषा की छवियाँ
3. पुस्तकालय: पूर्वोत्तर भारत पर पुस्तकें
4. हस्तनिर्मित: पत्तियों से बने नमूने
5. गेम्स: सांस्कृतिक क्विज़
7. 21वीं सदी के कौशल
1. सांस्कृतिक साक्षरता: विविधता को समझना
2. सहयोग: समूह में कार्य करना
3. रचनात्मकता: नवीन विचार प्रस्तुत करना
4. आलोचनात्मक चिंतन: परंपराओं का विश्लेषण
5. डिजिटल साक्षरता: ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग
8. विस्तार/वास्तविक जीवन अनुप्रयोग
1. प्रोजेक्ट: स्कूल में सांस्कृतिक दिवस आयोजित करना
2. सर्वेक्षण: समुदाय में त्योहारों पर डेटा संग्रह
3. अभियान: पर्यावरण-अनुकूल उत्सवों को बढ़ावा
4. प्रदर्शनी: पूर्वोत्तर संस्कृति पर प्रदर्शनी लगाना
5. सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय उत्सवों में शामिल होना
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पाठ योजना
अध्याय 5 : सुंदरिया (कहानी)
1. संकल्पना (Concept)
1. पशु-मानव संबंधों की संवेदनशीलता
2. नैतिक मूल्य: ईमानदारी, स्नेह और जिम्मेदारी
3. भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास
4. ग्रामीण जीवन और आर्थिक चुनौतियाँ
5. सच्ची मित्रता की अवधारणा
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. छात्र पशु-मानव संबंधों का महत्व समझते हैं
2. कहानी के पात्रों के भावों को पहचानते हैं
3. नैतिक निर्णय लेने की क्षमता प्रदर्शित करते हैं
4. सरल भाषा में कहानी का सारांश लिखते हैं
5. जीवों के प्रति संवेदनशील व्यवहार दिखाते हैं
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. कहानी वाचन: शिक्षक भावपूर्ण ढंग से कहानी सुनाते हैं
2. भूमिका निर्वाह: हीरासिंह, सुंदरिया और सेठ की भूमिका में अभिनय
3. मूल्य चर्चा: "क्या हीरासिंह ने सही निर्णय लिया?" पर वाद-विवाद
4. कला एकीकरण: सुंदरिया का चित्र बनाना और उसके गुण लिखना
5. सृजनात्मक लेखन: "यदि मैं हीरासिंह होता..." विषय पर अनुच्छेद
6. समूह चर्चा: पालतू जानवरों के साथ अपने अनुभव साझा करना
7. नाट्यीकरण: कहानी का संक्षिप्त नाटकीय रूपांतरण
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण
1. पर्यावरण अध्ययन: पशु संरक्षण और देखभाल
2. नागरिक शास्त्र: ईमानदारी और जिम्मेदारी के मूल्य
3. गणित: गाय के दूध उत्पादन का रिकॉर्ड रखना
4. कला: पशु कल्याण पर पोस्टर निर्माण
5. अंग्रेजी: "My Pet" विषय पर संक्षिप्त अनुच्छेद
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक:
- कहानी का सारांश सुनाना
- "पशुओं के अधिकार" पर अपने विचार व्यक्त करना
लिखित:
- हीरासिंह के चरित्र का वर्णन (50 शब्द)
- "यदि सुंदरिया बोल सकती..." विषय पर संवाद लेखन
व्यवहारात्मक:
- समूह चर्चा में सक्रिय भागीदारी
- पशु कल्याण के प्रति संवेदनशीलता
स्तरानुसार प्रश्न:
- बुनियादी: सुंदरिया किसकी गाय थी?
- मध्यम: हीरासिंह ने गाय क्यों बेची?
- उच्च: "धन बनाम संवेदनशीलता" पर अपने विचार
6. संसाधन (Resources)
1. ICT: पशु कल्याण पर संक्षिप्त वीडियो
2. ऑडियो-विजुअल: ग्रामीण जीवन की छवियाँ
3. पुस्तकालय: पशु-मानव मित्रता पर कहानियाँ
4. हस्तनिर्मित: पशु आकृतियों के मास्क
5. गेम्स: "पशु और उनके घर" मिलान खेल
7. 21वीं सदी के कौशल
1. संवेदनशीलता: भावनाओं को समझना
2. नैतिक निर्णय: सही-गलत का विश्लेषण
3. सहानुभूति: दूसरों की भावनाओं को महसूस करना
4. रचनात्मक अभिव्यक्ति: कहानी को नए रूप में प्रस्तुत करना
5. सहयोग: समूह गतिविधियों में भाग लेना
8. विस्तार/वास्तविक जीवन अनुप्रयोग
1. प्रोजेक्ट: स्थानीय पशु आश्रम भ्रमण और रिपोर्ट तैयार करना
2. सर्वेक्षण: पड़ोस में पालतू जानवरों की देखभाल पर डेटा संग्रह
3. अभियान: पशु कल्याण के लिए जागरूकता पोस्टर बनाना
4. कहानी लेखन: अपने पालतू जानवर के साथ अनुभव की कहानी
5. सामुदायिक सेवा: स्थानीय पशु चिकित्सालय में स्वयंसेवा
पाठ योजना
अध्याय 6 : चतुर चित्रकार
1. संकल्पना (Concept)
1. चतुराई और बुद्धिमत्ता से संकट का समाधान करना।
2. उपस्थित बुद्धि (Presence of mind) का महत्व।
3. परिस्थिति में सही निर्णय लेना।
4. साहस और धैर्य का साथ बनाए रखना।
5. कठिन समय में कला और कौशल का उपयोग।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी पाठ का सारांश अपने शब्दों में बताते हैं।
2. विद्यार्थी कहानी के पात्रों की विशेषताओं को पहचानते हैं।
3. विद्यार्थी संकट की स्थिति में चतुराई से समाधान सुझाते हैं।
4. विद्यार्थी कठिन शब्दों के अर्थ समझते और वाक्यों में प्रयोग करते हैं।
5. विद्यार्थी अपनी कल्पना से ऐसी ही एक छोटी कहानी रचते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. कहानी वाचन — शिक्षक भावपूर्ण शैली में पाठ पढ़ते हैं।
2. चित्र प्रदर्शन — जंगल, चित्रकार, शेर के चित्र/वीडियो दिखाए जाते हैं।
3. भूमिका-अभिनय (Role Play) — छात्र शेर, चित्रकार के संवाद बोलते हैं।
4. समूह चर्चा — "यदि आप चित्रकार होते तो क्या करते?" पर विचार-विमर्श।
5. शब्द-भंडार खेल — कठिन शब्दों के अर्थ खोजकर वाक्यों में प्रयोग।
6. ICT आधारित गतिविधि — एनिमेटेड वीडियो/PowerPoint प्रस्तुति।
7. सृजनात्मक लेखन — "चतुराई से संकट का हल" विषय पर अनुच्छेद लेखन।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)
1. कला — चित्र बनाना (शेर, चित्रकार, जंगल दृश्य)।
2. पर्यावरण अध्ययन — जंगल एवं वन्यजीव संरक्षण।
3. नैतिक शिक्षा — समझदारी और संयम का महत्व।
4. सामाजिक विज्ञान — समाज में कलाकारों की भूमिका।
5. कंप्यूटर शिक्षा — चित्र संपादन सॉफ़्टवेयर से पोस्टर बनाना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक प्रश्न:
1. चित्रकार ने शेर को कैसे धोखा दिया?
2. शेर की प्रतिक्रिया कैसी थी?
3. कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
लिखित प्रश्न:
1. कहानी का सारांश 6–8 वाक्यों में लिखिए।
2. "चतुराई" शब्द का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए।
व्यवहारिक कार्य:
- चित्र बनाकर उसमें संवाद लिखना।
- अपनी कल्पना से संकट में फँसने और बच निकलने की एक घटना लिखना।
6. संसाधन (Resources)
1. पाठ्यपुस्तक वीणा हिंदी – कक्षा 5।
2. जंगल, शेर, नाव, चित्रकार के चित्र और वीडियो।
3. स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर (ICT)।
4. YouTube से चतुर चित्रकार का एनिमेशन।
5. चार्ट पेपर, रंग, पेंसिल, स्केच पेन।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. समस्या समाधान कौशल (Problem Solving Skills)।
2. रचनात्मकता और नवाचार (Creativity & Innovation)।
3. संचार कौशल (Communication Skills)।
4. निर्णय क्षमता (Decision Making Ability)।
5. नैतिक मूल्य — संकट में भी विवेक से कार्य करना।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग
1. कठिन परिस्थिति में घबराने के बजाय सोच-समझकर कार्य करना।
2. रोज़मर्रा के जीवन में कला/कौशल का उपयोग।
3. जंगल या प्रकृति में सुरक्षा के उपाय जानना।
4. टीमवर्क और सहयोग से समस्या का हल निकालना।
5. चतुराई से, बिना किसी को नुकसान पहुँचाए, अपने लक्ष्य को प्राप्त करना।
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पाठ योजना
अध्याय 7 : मेरा बचपन
1. संकल्पना (Concept)
1. बचपन की यादें और उनसे जुड़ी भावनाएँ।
2. खेल-कूद का महत्व और आनंद।
3. भारतीय पारंपरिक खेलों का मूल्य।
4. परिवार और पड़ोस में सामूहिक गतिविधियों की भूमिका।
5. सादगी और सरल जीवन शैली की सुंदरता।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी कहानी के मुख्य विचार को पहचानते हैं।
2. विद्यार्थी लेखक के बचपन की विशेषताओं को बताते हैं।
3. विद्यार्थी पारंपरिक खेलों और विदेशी खेलों के बीच अंतर बताते हैं।
4. विद्यार्थी अपने बचपन के अनुभव साझा करते हैं।
5. विद्यार्थी कहानी से प्रेरित होकर एक छोटा संस्मरण लिखते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. भावपूर्ण वाचन — शिक्षक पाठ को भाव और लय के साथ पढ़ते हैं।
2. चित्र/वीडियो प्रदर्शन — गिल्ली-डंडा, चबेना, रामलीला के चित्र/वीडियो।
3. भूमिका-अभिनय — विद्यार्थी लेखक और उनके मित्रों का अभिनय करते हैं।
4. समूह चर्चा — "आज के बच्चे पारंपरिक खेल क्यों नहीं खेलते?"
5. शब्दार्थ गतिविधि — कठिन शब्दों का अर्थ और प्रयोग।
6. ICT आधारित प्रस्तुति — PowerPoint या YouTube वीडियो के माध्यम से।
7. सृजनात्मक लेखन — "मेरा पसंदीदा बचपन का खेल" विषय पर अनुच्छेद।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण
1. इतिहास — प्रेमचंद के समय का सामाजिक जीवन।
2. शारीरिक शिक्षा — पारंपरिक खेलों का अभ्यास।
3. नैतिक शिक्षा — सरलता, आपसी सहयोग का महत्व।
4. कला — बचपन के खेलों का चित्र बनाना।
5. कंप्यूटर शिक्षा — खेलों पर स्लाइड प्रस्तुति बनाना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक प्रश्न:
1. लेखक को कौन-कौन से खेल पसंद थे?
2. लेखक ने गिल्ली-डंडा को क्यों श्रेष्ठ बताया?
3. लेखक के पिता क्यों नाराज हुए?
लिखित प्रश्न:
1. लेखक के बचपन की कोई दो घटनाएँ लिखिए।
2. "गिल्ली-डंडा" और "विदेशी खेल" में अंतर लिखिए।
व्यवहारिक कार्य:
- गिल्ली-डंडा या कोई पारंपरिक खेल का प्रदर्शन।
- अपना बचपन का कोई खेल बनाकर कक्षा में लाना।
6. संसाधन (Resources)
1. वीणा हिंदी पाठ्यपुस्तक — कक्षा 5।
2. गिल्ली-डंडा, चबेना, रामलीला के चित्र।
3. स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर (ICT)।
4. YouTube पर गिल्ली-डंडा खेल के वीडियो।
5. चार्ट पेपर, रंग, पेंसिल।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. सृजनात्मकता — खेलों का नया रूप बनाना।
2. समस्या समाधान — खेल के नियम तय करना।
3. टीमवर्क — समूह में खेलना और समन्वय।
4. संचार कौशल — अनुभव साझा करना।
5. सांस्कृतिक मूल्य — भारतीय परंपराओं का सम्मान।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग
1. परिवार और दोस्तों के साथ पारंपरिक खेल खेलना।
2. स्क्रीन टाइम कम कर शारीरिक खेल अपनाना।
3. पड़ोस में खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित करना।
4. लोक खेलों की जानकारी अगली पीढ़ी को देना।
5. सामूहिक खेलों से स्वास्थ्य और रिश्तों में मजबूती लाना।
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पाठ योजना
अध्याय 8 : काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा
1. संकल्पना (Concept)
1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक स्थिति और महत्व।
2. एक सींग वाले भारतीय गैंडे की विशेषताएँ।
3. वन्य जीव संरक्षण का महत्व।
4. प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का अनुभव।
5. पर्यावरण संतुलन में वन्यजीवों की भूमिका।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की विशेषताओं को बताते हैं।
2. विद्यार्थी एक सींग वाले गैंडे की पहचान करते हैं।
3. विद्यार्थी वन्यजीव संरक्षण के महत्व को समझते हैं।
4. विद्यार्थी यात्रा के अनुभव को अपने शब्दों में व्यक्त करते हैं।
5. विद्यार्थी पत्र शैली में लेखन करते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. भावपूर्ण वाचन — शिक्षक पत्र को लय और भाव से पढ़ते हैं।
2. चित्र/वीडियो प्रदर्शन — काजीरंगा, गैंडा, हाथी, हिरण के दृश्य।
3. भूमिका-अभिनय — पर्यटक, गाइड, हाथी-चालक आदि के संवाद।
4. समूह चर्चा — "वन्य जीवों को बचाना क्यों जरूरी है?"
5. शब्दार्थ और वाक्य निर्माण — कठिन शब्दों का अर्थ और प्रयोग।
6. ICT प्रस्तुति — PowerPoint या YouTube क्लिप से काजीरंगा परिचय।
7. सृजनात्मक लेखन — "मेरी स्वप्न यात्रा" विषय पर अनुच्छेद।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)
1. भूगोल — असम का मानचित्र, ब्रह्मपुत्र नदी का अध्ययन।
2. विज्ञान — जैव विविधता और पशु वर्गीकरण।
3. पर्यावरण शिक्षा — संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण।
4. कला — वन्यजीवों का चित्र बनाना।
5. कंप्यूटर शिक्षा — राष्ट्रीय उद्यानों की सूची पर स्लाइड बनाना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक प्रश्न
1. काजीरंगा किस राज्य में स्थित है?
2. एक सींग वाला गैंडा केवल कहाँ पाया जाता है?
3. लेखक ने यात्रा के लिए कौन-कौन से साधन उपयोग किए?
लिखित प्रश्न
1. काजीरंगा में देखे गए तीन प्रमुख पशुओं के नाम लिखिए।
2. पत्र का मुख्य उद्देश्य लिखिए।
व्यवहारिक कार्य
- गैंडे या अन्य वन्यजीव का चित्र बनाना।
- अपने क्षेत्र के किसी प्राकृतिक स्थल की यात्रा विवरण लिखना।
6. संसाधन (Resources)
1. वीणा हिंदी पाठ्यपुस्तक — कक्षा 5।
2. काजीरंगा और गैंडे के चित्र।
3. स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर (ICT)।
4. YouTube पर काजीरंगा के वृत्तचित्र।
5. चार्ट पेपर, रंग, पेंसिल।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. पर्यावरण जागरूकता — प्रकृति और जीव संरक्षण।
2. सृजनात्मक सोच — संरक्षण के नए उपाय सुझाना।
3. सहयोग भावना — समूह चर्चा और प्रस्तुति।
4. सूचना प्रौद्योगिकी कौशल — ऑनलाइन शोध।
5. सांस्कृतिक मूल्य — प्राकृतिक धरोहर का सम्मान।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग
1. स्थानीय उद्यान या अभयारण्य की सैर करना।
2. पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील व्यवहार करना।
3. वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में भाग लेना।
4. राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में जानकारी एकत्र कर साझा करना।
5. पर्यटन से जुड़ी जिम्मेदारियों को समझना और अपनाना।
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पाठ योजना
अध्याय 9 : न्याय
1. संकल्पना (Concept)
1. न्याय का महत्व और निष्पक्षता का भाव।
2. करुणा, सहानुभूति और दया जैसे मानवीय मूल्यों की आवश्यकता।
3. विवाद के समाधान में धैर्य और विवेक का उपयोग।
4. नाटक के माध्यम से नैतिक शिक्षा का संप्रेषण।
5. दूसरों की भलाई के लिए त्याग और निःस्वार्थता।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी न्याय और करुणा के महत्व को पहचानते हैं।
2. विद्यार्थी नाटक में पात्रों के भाव और कार्यों को समझते हैं।
3. विद्यार्थी विवादों के समाधान के सही तरीकों का वर्णन करते हैं।
4. विद्यार्थी सहानुभूति और दया के भाव को अपने अनुभव से जोड़ते हैं।
5. विद्यार्थी समूह में सहयोग और संवाद से निर्णय लेते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. भूमिका-निर्वाह (Role Play) – विद्यार्थी नाटक के पात्र बनकर मंचन करते हैं।
2. समूह चर्चा (Group Discussion) – न्याय और करुणा पर विचार-विमर्श।
3. स्थिति-विश्लेषण (Situation Analysis) – काल्पनिक विवाद देकर समाधान खोजने की गतिविधि।
4. कहानी-पुनर्कथन (Story Retelling) – अपने शब्दों में नाटक का पुनर्कथन।
5. नैतिक मूल्य पहचान (Value Identification) – पाठ से नैतिक मूल्यों को सूचीबद्ध करना।
6. चित्र/कॉमिक बनाना – नाटक के किसी दृश्य को चित्र के रूप में बनाना।
7. ICT उपयोग – प्रोजेक्टर/वीडियो के माध्यम से नाटक का प्रदर्शन दिखाना।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)
1. नैतिक शिक्षा (Moral Science) – नैतिक मूल्यों की व्याख्या।
2. सामाजिक विज्ञान (Social Studies) – समाज में न्याय व्यवस्था का महत्व।
3. कला शिक्षा (Art Education) – नाटक के दृश्यों की चित्रकला।
4. भाषा (Hindi) – संवाद लेखन और अभिनय कौशल।
5. कंप्यूटर शिक्षा (ICT) – नाटक का वीडियो संपादन और प्रस्तुति।
5. मूल्यांकन (Assessment)
(क) मौखिक प्रश्न
- न्याय क्या है?
- नाटक में सिद्धार्थ ने किसके पक्ष में निर्णय लिया?
(ख) लिखित प्रश्न
- नाटक के किसी दो पात्रों का वर्णन कीजिए।
- न्याय और करुणा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन
- विवाद की स्थिति में आप कैसे समाधान करेंगे, इसे अभिनय द्वारा प्रदर्शित करें।
(घ) सभी स्तर के विद्यार्थियों हेतु प्रश्न
- आसान: नाटक का नाम और लेखक बताइए।
- मध्यम: सिद्धार्थ ने घायल हंस को क्यों बचाया?
- कठिन: यदि आप दवेदत्त होते, तो आप क्या निर्णय लेते और क्यों?
6. संसाधन (Resources)
1. पाठ्यपुस्तक "वीणा" कक्षा 5।
2. नाटक का मंचन वीडियो।
3. प्रोजेक्टर और ऑडियो सिस्टम।
4. नाटक के संवादों की छपी स्क्रिप्ट।
5. इंटरनेट से प्राप्त न्याय पर आधारित लघु वीडियो क्लिप्स।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) – विभिन्न दृष्टिकोणों का विश्लेषण।
2. संचार कौशल (Communication Skills) – स्पष्ट और प्रभावी संवाद।
3. सहयोग (Collaboration) – समूह में निर्णय लेना।
4. नैतिक मूल्य (Ethics & Values) – करुणा और ईमानदारी।
5. समस्या समाधान (Problem Solving) – विवादों का समाधान ढूंढना।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)
1. विद्यालय में छोटे-मोटे विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
2. परिवार में निर्णय लेते समय सभी की राय लेना।
3. समाज में निष्पक्ष व्यवहार करना।
4. दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहना।
5. ऑनलाइन माध्यम में भी सम्मानजनक संवाद बनाए रखना।
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पाठ योजना
अध्याय 10 : तीन मछलियाँ
1. संकल्पना (Concept)
1. कठिन परिस्थितियों में समय रहते सही निर्णय लेने का महत्व।
2. बुद्धिमत्ता, आलस्य और भाग्य-निर्भरता के परिणाम।
3. समस्या से बचने के लिए पूर्व योजना की आवश्यकता।
4. संकट प्रबंधन और सतर्कता।
5. "जो होना है, सो होगा" दृष्टिकोण के खतरों पर विचार।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी कहानी के तीनों पात्रों की विशेषताओं को पहचानते हैं।
2. विद्यार्थी समय पर निर्णय लेने के महत्व को समझते हैं।
3. विद्यार्थी कहानी के संदेश को अपने शब्दों में व्यक्त करते हैं।
4. विद्यार्थी कठिन परिस्थितियों में समाधान सुझाते हैं।
5. विद्यार्थी पाठ से प्रेरित होकर सृजनात्मक लेखन करते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. भावपूर्ण वाचन — कहानी को रोचक अंदाज़ में पढ़कर सुनाना।
2. भूमिका-अभिनय — तीनों मछलियों और मछुआरों का अभिनय।
3. चित्र/वीडियो प्रदर्शन — मछलियों के चित्र और छोटे ऐनिमेशन।
4. समूह चर्चा — "क्या भाग्य के भरोसे रहना सही है?"
5. समस्या-समाधान गतिविधि — संकट में छात्रों से सुझाव लेना।
6. ICT प्रस्तुति — पावरपॉइंट या YouTube क्लिप से कहानी दिखाना।
7. तुलनात्मक अध्ययन — अन्य पंचतंत्र कथाओं से तुलना।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)
1. विज्ञान — मछलियों के प्रकार और आवास।
2. पर्यावरण शिक्षा — जल संरक्षण और जीव-जंतु संरक्षण।
3. नैतिक शिक्षा — सतर्कता और श्रम के मूल्य।
4. कला — कहानी के दृश्य चित्रित करना।
5. कंप्यूटर शिक्षा — कहानी पर स्लाइडशो बनाना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक प्रश्न
1. अनागतलवधाता ने मछुआरों से बचने के लिए क्या सुझाव दिया?
2. यद्भविष्य किस बात पर विश्वास करती थी?
3. प्रतयतुपननमलत ने संकट से बचने के लिए क्या योजना बनाई?
लिखित प्रश्न
1. तीनों मछलियों के स्वभाव का वर्णन कीजिए।
2. कहानी से मिलने वाली शिक्षा लिखिए।
व्यवहारिक कार्य
- तीन मछलियों और मछुआरों का संवाद नाटक।
- "यदि आप मछली होते तो क्या करते?" पर अनुच्छेद।
6. संसाधन (Resources)
1. वीणा हिंदी पाठ्यपुस्तक — कक्षा 5।
2. मछलियों और सरोवर के चित्र।
3. स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर (ICT)।
4. YouTube पर मछलियों और पंचतंत्र की कहानियों के वीडियो।
5. चार्ट पेपर, रंग, पेंसिल।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. निर्णय क्षमता — समय पर सही कदम उठाना।
2. समस्या समाधान — कठिनाई से निपटने के उपाय सोचना।
3. आलोचनात्मक सोच — सही और गलत दृष्टिकोण का विश्लेषण।
4. सहयोग — समूह कार्य में सहभागिता।
5. नैतिक मूल्य — आलस्य से बचना और सतर्क रहना।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग
1. किसी समस्या पर समय रहते कदम उठाना।
2. भाग्य के भरोसे न रहकर प्रयास करना।
3. योजना बनाकर कार्य करना।
4. कठिनाई में धैर्य और बुद्धि से काम लेना।
5. जीवन में सतर्कता अपनाना।
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पाठ योजना
अध्याय 11 : हमारे ये कलामंदिर
1. संकल्पना (Concept)
1. हमारे देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का महत्व।
2. प्राचीन कलाकृतियों और स्थापत्य कला की विशेषताएँ।
3. सांस्कृतिक पहचान और गौरव का भाव।
4. कलामंदिरों का संरक्षण और रख-रखाव।
5. पर्यटन, शिक्षा और संस्कृति में कलामंदिरों की भूमिका।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी विभिन्न कलामंदिरों की पहचान करते हैं।
2. विद्यार्थी उनके स्थापत्य और कला की विशेषताओं का वर्णन करते हैं।
3. विद्यार्थी सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के उपाय बताते हैं।
4. विद्यार्थी कलामंदिरों के इतिहास से प्रेरित होते हैं।
5. विद्यार्थी यात्रा-वृत्तांत शैली में लेखन करते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. चित्र/वीडियो प्रदर्शन — प्रसिद्ध कलामंदिरों के फोटो और डॉक्यूमेंट्री।
2. यात्रा अनुभव साझा करना — विद्यार्थियों से पूछना कि उन्होंने कौन-कौन से ऐतिहासिक स्थल देखे हैं।
3. समूह चर्चा — "कलामंदिरों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?"
4. मानचित्र कार्य — भारत के मानचित्र में प्रमुख कलामंदिर चिह्नित करना।
5. शब्दार्थ और वाक्य निर्माण — कठिन शब्दों का अर्थ और प्रयोग।
6. ICT उपयोग — PowerPoint/YouTube के माध्यम से वर्चुअल टूर।
7. सृजनात्मक लेखन — "अगर मैं एक कलामंदिर का गाइड होता/होती" विषय पर अनुच्छेद।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)
1. इतिहास — कलामंदिरों का निर्माण काल और ऐतिहासिक घटनाएँ।
2. भूगोल — विभिन्न राज्यों में स्थित कलामंदिरों का मानचित्र अध्ययन।
3. कला शिक्षा — स्थापत्य शैली की ड्रॉइंग/स्केच बनाना।
4. नैतिक शिक्षा — धरोहरों के प्रति जिम्मेदारी और सम्मान।
5. कंप्यूटर शिक्षा — कलामंदिरों पर डिजिटल प्रेजेंटेशन बनाना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक प्रश्न
1. पाठ में किन कलामंदिरों का उल्लेख है?
2. कलामंदिरों का संरक्षण क्यों जरूरी है?
3. इनका देश की संस्कृति में क्या महत्व है?
लिखित प्रश्न
1. किसी एक कलामंदिर का वर्णन कीजिए।
2. पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
व्यवहारिक कार्य
- किसी कलामंदिर का चित्र बनाना और उसके बारे में 5 वाक्य लिखना।
- भारत के मानचित्र में 5 प्रसिद्ध कलामंदिर चिह्नित करना।
6. संसाधन (Resources)
1. वीणा हिंदी पाठ्यपुस्तक — कक्षा 5।
2. कलामंदिरों के फोटो और वीडियो।
3. स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर (ICT)।
4. भारत का मानचित्र।
5. चार्ट पेपर, रंग, पेंसिल।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. सांस्कृतिक जागरूकता — धरोहरों का महत्व समझना।
2. सृजनात्मकता — स्थापत्य कला का चित्रण।
3. सूचना प्रबंधन — शोध और डेटा एकत्र करना।
4. संचार कौशल — अपने अनुभव साझा करना।
5. नैतिक मूल्य — संरक्षण और देखभाल का भाव।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग
1. किसी स्थानीय ऐतिहासिक स्थल की सैर करना।
2. धरोहर स्थलों की सफाई और सुरक्षा में सहयोग।
3. दोस्तों और परिवार को सांस्कृतिक धरोहरों के महत्व के बारे में बताना।
4. सोशल मीडिया पर धरोहर जागरूकता अभियान में भाग लेना।
5. पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
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पाठ योजना
अध्याय 12 : गंगा की कहानी
1. संकल्पना (Concept)
1. गंगा नदी का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व।
2. गंगा का उद्गम और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उसका प्रवाह।
3. गंगा के किनारे बसे नगरों की सामाजिक और आर्थिक जीवनशैली।
4. नदी प्रदूषण और उसके कारण।
5. गंगा को स्वच्छ और निर्मल रखने की आवश्यकता।
2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)
1. विद्यार्थी गंगा नदी के उद्गम और मार्ग का वर्णन करते हैं।
2. विद्यार्थी गंगा के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को पहचानते हैं।
3. विद्यार्थी गंगा प्रदूषण के कारण और समाधान बताते हैं।
4. विद्यार्थी कहानी को क्रमबद्ध रूप में सुनाते हैं।
5. विद्यार्थी गंगा की सुरक्षा के लिए जागरूकता संदेश तैयार करते हैं।
3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)
1. चित्र/वीडियो प्रदर्शन — गंगा नदी के उद्गम, घाट और नगरों के दृश्य।
2. मानचित्र कार्य — भारत के मानचित्र पर गंगा का मार्ग दर्शाना।
3. समूह चर्चा — "गंगा को स्वच्छ रखना क्यों जरूरी है?"
4. शब्दार्थ गतिविधि — कठिन शब्दों का अर्थ और वाक्य निर्माण।
5. ICT प्रस्तुति — YouTube/PowerPoint के माध्यम से गंगा की यात्रा।
6. रोल प्ले — गंगा, नगरवासी, मछुआरे, पर्यटक आदि के संवाद।
7. सृजनात्मक लेखन — "अगर गंगा बोल पाती" विषय पर अनुच्छेद।
4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)
1. भूगोल — नदियों का महत्व और जल चक्र।
2. पर्यावरण शिक्षा — जल प्रदूषण और संरक्षण।
3. इतिहास — गंगा किनारे के ऐतिहासिक नगर।
4. कला शिक्षा — गंगा के घाट का चित्र बनाना।
5. कंप्यूटर शिक्षा — नदियों पर डिजिटल पोस्टर बनाना।
5. मूल्यांकन (Assessment)
मौखिक प्रश्न
1. गंगा का उद्गम कहाँ है?
2. गंगा किनारे बसे दो प्रमुख नगरों के नाम बताइए।
3. गंगा को "माँ" क्यों कहा जाता है?
लिखित प्रश्न
1. गंगा प्रदूषण के तीन कारण लिखिए।
2. गंगा के धार्मिक महत्व का वर्णन कीजिए।
व्यवहारिक कार्य
- भारत का मानचित्र बनाकर गंगा का मार्ग चिह्नित करना।
- गंगा की सफाई के लिए एक पोस्टर तैयार करना।
6. संसाधन (Resources)
1. वीणा हिंदी पाठ्यपुस्तक — कक्षा 5।
2. गंगा नदी के चित्र और वीडियो।
3. स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर (ICT)।
4. भारत का मानचित्र।
5. चार्ट पेपर, रंग, पेंसिल।
7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल
1. पर्यावरण जागरूकता — जल स्रोतों की सुरक्षा।
2. सृजनात्मक सोच — प्रदूषण रोकने के नए उपाय।
3. सूचना प्रबंधन — नदियों से संबंधित डेटा का उपयोग।
4. संचार कौशल — जागरूकता संदेश तैयार करना।
5. नैतिक मूल्य — प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जिम्मेदारी।
8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग
1. स्थानीय जलस्रोत की सफाई में भाग लेना।
2. जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना।
3. प्लास्टिक और कचरा नदियों में न फेंकने की आदत डालना।
4. जल प्रदूषण पर सामुदायिक बैठक आयोजित करना।
5. नदियों और तालाबों के संरक्षण से जुड़े अभियानों में भाग लेना।
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Conclusion
वीणा के पाठों में भाषा शिक्षण के साथ-साथ जीवन मूल्यों, संवेदनशीलता और सृजनात्मक सोच का सुंदर मेल है। यदि शिक्षक इन पाठ योजनाओं का प्रयोग करते हैं, तो बच्चे न केवल हिंदी भाषा में दक्ष होंगे, बल्कि सोचने, समझने और महसूस करने की शक्ति भी विकसित करेंगे। यह ब्लॉग शिक्षकों को अध्यापन की दिशा में एक व्यावहारिक और रचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करता है।
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