कक्षा 2 हिंदी 'सारंगी' की संपूर्ण पाठ योजना – हर पाठ के लिए विस्तृत मार्गदर्शन!" || "कक्षा 2 हिंदी पाठ योजना | सारंगी पुस्तक के 26 पाठों की विस्तृत शिक्षण योजना" || new format lesson plan ||

परिचय:

"सारंगी" हिंदी की पाठ्यपुस्तक, जो कक्षा 2 के छात्रों के लिए बनाई गई है, बच्चों को भाषा की मूलभूत समझ और रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित करती है। इस किताब में कुल 26 पाठ शामिल हैं, जो रोचक कहानियों, कविताओं और संवादों के माध्यम से हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं को सिखाते हैं।

इस ब्लॉग में सभी 26 पाठों के विस्तृत पाठ योजनाएँ दी गई हैं, जो शिक्षकों के लिए एक सुव्यवस्थित मार्गदर्शिका का कार्य करेंगी। हर पाठ योजना को संरचित बिंदुओं में तैयार किया गया है, जिसमें संकल्पना, सीखने के लक्ष्य, शैक्षणिक रणनीतियाँ, मूल्यांकन, संसाधन और वास्तविक जीवन में उपयोग जैसे महत्वपूर्ण तत्व शामिल हैं। यह ब्लॉग शिक्षकों को अपनी कक्षा को अधिक प्रभावी और रोचक बनाने में मदद करेगा, जिससे बच्चे खेल-खेल में हिंदी भाषा को सहज रूप से सीख सकें।

English lesson plan 

Maths lesson plan

 



 

पाठ योजना

पाठ 1 - "नीमा और दादी"

1. संकल्पना (Concept)

1.    कहानी "नीमा और दादी" के माध्यम से पारिवारिक संबंधों की समझ विकसित करना।

2.    विद्यार्थियों को दादी-नानी के साथ उनके अनुभवों से जोड़ना।

3.    कहानी में प्रयोग किए गए शब्दों और उनके उच्चारण को सटीकता से समझना।

4.    बच्चों को वार्तालाप और प्रश्न-उत्तर की आदत डालना।

5.    कहानी के भावार्थ को पहचानकर जीवन में लागू करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    विद्यार्थी कहानी को सही उच्चारण और प्रवाह के साथ पढ़ सकेंगे।

2.    कहानी के पात्रों और घटनाओं का वर्णन सरल शब्दों में कर सकेंगे।

3.    नए शब्दों को पहचानकर उनका सही उपयोग सीख सकेंगे।

4.    कहानी से प्राप्त नैतिक शिक्षा को अपने जीवन से जोड़ सकेंगे।

5.    पारिवारिक संवाद और भावनाओं को उचित शब्दों में व्यक्त कर सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    चित्र-वर्णन गतिविधिकहानी में दिए गए चित्रों को देखकर उनके बारे में चर्चा।

2.    भूमिका निभाना (Role Play)नीमा और दादी का संवाद कक्षा में अभिनय के रूप में प्रस्तुत करना।

3.    शब्द निर्माण खेल – ‘द’ और ‘न’ से शुरू होने वाले शब्दों की सूची बनवाना।

4.    सृजनात्मक लेखनबच्चों से कहानी का विस्तार करवाना या अपनी दादी-नानी से जुड़ा अनुभव लिखवाना।

5.    श्रवण कौशल गतिविधिशिक्षक कहानी को सुनाएँ और बच्चों से मुख्य बिंदु पूछें।

6.    शब्द जोड़ने की गतिविधिअक्षरों को जोड़कर नए शब्द बनवाना और सही उच्चारण करवाना।

7.    वार्तालाप अभ्यासकहानी से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मौखिक रूप से बच्चों से दिलवाना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    पर्यावरण अध्ययनपरिवार और वृद्धजनों की देखभाल का महत्व।

2.    गणितसमय गणना (नीमा पाँच बजे खेलने जाती है, दस मिनट बाद छह बज जाते हैं)।

3.    चित्रकलाबच्चों से दादी और नीमा का चित्र बनवाना।

4.    नैतिक शिक्षाबुजुर्गों के प्रति आदर और देखभाल का भाव विकसित करना।

5.    संवाद कौशलकहानी में नीमा और दादी के संवाद के आधार पर बातचीत का अभ्यास करवाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

(क) मौखिक (Oral)

1.    कहानी को सुनाने के बाद बच्चों से प्रश्न पूछना।

2.    चित्र देखकर कहानी के बारे में बातचीत करना।

(ख) लिखित (Written)

1.    अधूरी पंक्तियों को पूरा करना।

2.    कहानी के पात्रों का वर्णन करना।

3.    द’ और ‘न’ से शुरू होने वाले पाँच शब्द लिखना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चों का अपने दादा-दादी से व्यवहार कैसा है, इस पर चर्चा।

2.    पारिवारिक रिश्तों पर अपने अनुभव साझा करना।

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    सरल प्रश्नों के उत्तर देना (प्रारंभिक स्तर के लिए)।

2.    कहानी को स्वयं से आगे बढ़ाना (उच्च स्तर के लिए)।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    किताब और कार्यपत्रकपाठ्यपुस्तक और अभ्यास पत्र।

2.    वीडियो और ऑडियो क्लिपकहानी से जुड़े दृश्य-श्रव्य संसाधन।

3.    इंटरनेट संसाधनपरिवार पर आधारित शैक्षिक एनिमेशन या छोटे वीडियो।

4.    चित्रों का उपयोगकहानी के पात्रों और घटनाओं के चित्र दिखाना।

5.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरकहानी को ऑडियो-विजुअल रूप में प्रस्तुत करना।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    संचार कौशलमौखिक और लिखित अभिव्यक्ति का विकास।

2.    समस्या समाधानपरिवार में किसी भी समस्या का हल निकालने की क्षमता।

3.    सहयोगात्मक कार्यकहानी में सीख को अपने जीवन में लागू करना।

4.    संवेदनशीलता और नैतिकताबुजुर्गों के प्रति सहानुभूति और सम्मान।

5.    रचनात्मकताबच्चों को अपनी कहानी बनाने के लिए प्रेरित करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ समय बिताएँ और उनका अनुभव साझा करें।

2.    परिवार में आपसी बातचीत और बुजुर्गों के अनुभवों को सुनने की आदत डालें।

3.    समय प्रबंधन का महत्व सीखें (खेल का समय, पढ़ाई का समय)।

4.    बच्चों को अपनी पसंदीदा पारिवारिक कहानी लिखने के लिए प्रेरित करें।

5.    बच्चे अपने परिवार की देखभाल और सहयोग की भावना को अपनाएँ।

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पाठ योजना

पाठ 2 - " घर "

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    कविता "आनंदमयी कुटिया" के माध्यम से घर के महत्व को समझाना।

2.    घर को माँ की गोदी जैसा आरामदायक स्थान मानने की भावना विकसित करना।

3.    घर में पारिवारिक प्रेम, सुरक्षा और अपनापन का अनुभव कराना।

4.    कविता के शब्दों, तुकांत शब्दों और लय को समझना।

5.    कविता के भाव को जीवन से जोड़कर आत्मीयता विकसित करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    विद्यार्थी कविता को सही उच्चारण और भाव के साथ पढ़ सकेंगे।

2.    कविता के मुख्य विचार को अपने शब्दों में व्यक्त कर सकेंगे।

3.    कविता में आए तुकांत शब्दों को पहचानकर नए शब्द जोड़ सकेंगे।

4.    घर और परिवार के महत्व को समझकर अपने अनुभव साझा कर सकेंगे।

5.    कविता से प्राप्त शिक्षा को अपने जीवन में लागू कर सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    चित्र-वर्णन गतिविधिघर के चित्र देखकर बच्चों से उनके घर का वर्णन करवाना।

2.    कविता गायनकविता को लय में पढ़ाना और बच्चों से गाने के रूप में सुनवाना।

3.    तुकांत शब्द खेलकविता से तुकांत शब्द निकालकर उनके साथ नए शब्द जोड़ना।

4.    रचनात्मक लेखन – ‘मेरा घर’ विषय पर निबंध या अनुच्छेद लिखवाना।

5.    भूमिका निभाना (Role Play)बच्चों से अपने घर के सदस्यों की भूमिकाएँ निभवाना।

6.    वार्तालाप अभ्यास – ‘घर माँ की गोदी जैसा क्यों होता है?’ इस विषय पर चर्चा कराना।

7.    श्रवण कौशल गतिविधिबच्चों को कविता सुनाकर उनसे मुख्य बिंदु पूछना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    पर्यावरण अध्ययनघर में सफाई और पर्यावरण संरक्षण की भूमिका।

2.    गणितघर के विभिन्न कमरों की गिनती और आकृतियों को पहचानना।

3.    चित्रकलाबच्चों से अपने घर का चित्र बनवाना।

4.    नैतिक शिक्षापरिवार में एक-दूसरे का आदर और सहयोग करना।

5.    संवाद कौशलअपने घर के बारे में दो-तीन वाक्य बोलने का अभ्यास कराना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

(क) मौखिक (Oral)

1.    कविता का भावार्थ सरल शब्दों में पूछना।

2.    तुकांत शब्दों की पहचान करवाना।

(ख) लिखित (Written)

1.    कविता से नए शब्द छाँटकर लिखवाना।

2.    मेरा घर’ पर छोटे अनुच्छेद लिखवाना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चे अपने घर की साफ-सफाई और सजावट के प्रति जागरूक हैं या नहीं।

2.    अपने परिवार के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करना।

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    सरल प्रश्नों के उत्तर देना (प्रारंभिक स्तर के लिए)।

2.    कविता की पंक्तियों को चित्र के माध्यम से दर्शाना (उच्च स्तर के लिए)।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    किताब और कार्यपत्रकपाठ्यपुस्तक और अभ्यास पत्र।

2.    वीडियो और ऑडियो क्लिपकविता का लयबद्ध गायन।

3.    इंटरनेट संसाधनघर और परिवार पर आधारित शैक्षिक एनिमेशन।

4.    चित्रों का उपयोगविभिन्न प्रकार के घरों के चित्र दिखाना।

5.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरकविता को दृश्य-श्रव्य रूप में प्रस्तुत करना।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    संचार कौशलमौखिक और लिखित अभिव्यक्ति का विकास।

2.    रचनात्मकताकविता को अपनी शैली में प्रस्तुत करना।

3.    सहयोगात्मक कार्यपरिवार और समाज में सामंजस्य बनाए रखना।

4.    संवेदनशीलताघर को प्यार और देखभाल से सुंदर बनाने की समझ।

5.    समस्या समाधानघर में आपसी सहयोग और समझ बढ़ाने की क्षमता।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने घर के बारे में अपने परिवार के सदस्यों से चर्चा करें।

2.    परिवार के साथ मिलकर घर की सफाई और सजावट करें।

3.    अपने दादा-दादी या माता-पिता से बचपन की यादों के बारे में जानें।

4.    कक्षा में हर बच्चा अपने घर की एक विशेषता बताए।

5.    बच्चे अपने घर की खूबियों और सुधार के सुझावों पर चर्चा करें।

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पाठ योजना

पाठ 3 - "माला की चांदी की पायल"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    कहानी "माला और उसकी पायल" के माध्यम से ध्वनि और भावनाओं की समझ विकसित करना।

2.    बच्चों को कहानी पढ़ने और समझने की क्षमता बढ़ाना।

3.    परिवार, उपहार और बदलाव की भावना को आत्मसात कराना।

4.    संवाद कौशल और तुकबंदी शब्दों की पहचान करवाना।

5.    भाषा के प्रति रुचि विकसित करना और लेखन कौशल को सुधारना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कहानी को सही उच्चारण और भाव के साथ पढ़ सकेंगे।

2.    कहानी के मुख्य विचार को समझकर सरल शब्दों में व्यक्त कर सकेंगे।

3.    ध्वनि से संबंधित शब्दों को पहचान सकेंगे और नए शब्द जोड़ सकेंगे।

4.    अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग करके कहानी को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

5.    संवाद कौशल और प्रश्न पूछने की क्षमता में सुधार करेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    ध्वनि पहचान खेलकहानी में आए ध्वनि शब्दों (सछ्-सछ्-छम, भऊऊ!, धप्प!) को दोहराना।

2.    भूमिका निभाना (Role Play)माला, माँ, नानी आदि पात्रों का अभिनय करवाना।

3.    चित्र वर्णनकहानी के चित्र दिखाकर बच्चों से उनका वर्णन करवाना।

4.    समूह चर्चा – 'पायल पहनने से क्या-क्या लाभ और हानि हो सकती है?' विषय पर चर्चा।

5.    कहानी विस्तारबच्चों से कहानी का नया अंत लिखवाना या सुनवाना।

6.    श्रवण और लेखन कौशलकहानी को पढ़कर सुनाना और उसके आधार पर प्रश्नों के उत्तर लिखवाना।

7.    तुकांत शब्द गतिविधिबच्चों को कहानी से तुकांत शब्द निकालकर उनके साथ नए शब्द जोड़ने को कहना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    पर्यावरण अध्ययनध्वनि प्रदूषण और उसकी रोकथाम पर चर्चा।

2.    गणितपायल के घुंघरू गिनने की गतिविधि।

3.    चित्रकलाबच्चों से अपनी पसंदीदा पायल का चित्र बनवाना।

4.    नैतिक शिक्षादूसरों को डराने या परेशान करने के बजाय मिलजुलकर रहने की शिक्षा।

5.    संगीतपायल की आवाज और अन्य ध्वनियों की तुलना करवाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

(क) मौखिक (Oral)

1.    कहानी को अपने शब्दों में सुनाने के लिए कहना।

2.    ध्वनि से संबंधित नए शब्दों की पहचान करवाना।

(ख) लिखित (Written)

1.    कहानी में आए ध्वनि शब्दों को लिखवाना।

2.    'मुझे जो उपहार मिला' विषय पर निबंध लिखवाना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    क्या बच्चे बातचीत में सही विराम चिह्नों का उपयोग कर रहे हैं?

2.    क्या वे कहानी को ध्यान से सुनकर उत्तर दे रहे हैं?

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    सरल प्रश्नों के उत्तर देना (प्रारंभिक स्तर के लिए)।

2.    कहानी को अपनी कल्पना से आगे बढ़ाना (उच्च स्तर के लिए)।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    पाठ्यपुस्तक – NCERT हिंदी पुस्तक।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपकहानी को नाटकीय रूप से प्रस्तुत करने के लिए।

3.    इंटरनेट संसाधनबच्चों के लिए ध्वनि आधारित शैक्षिक गतिविधियाँ।

4.    चित्रों का उपयोगमाला, पायल, नानी आदि के चित्र दिखाना।

5.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरकहानी को दृश्य-श्रव्य रूप में प्रस्तुत करना।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    संचार कौशलकहानी को अपने शब्दों में व्यक्त करना।

2.    रचनात्मकताकहानी को नया मोड़ देना।

3.    सहयोगात्मक कार्यकहानी को समूह में अभिनय द्वारा प्रस्तुत करना।

4.    संवेदनशीलतादूसरों को डराने के बजाय मिलनसार बनने की समझ।

5.    समस्या समाधानमाला ने पायल क्यों उतार दी? इस पर बच्चों से सुझाव लेना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपनी पसंदीदा ध्वनि पर चर्चा करें।

2.    परिवार के साथ अपनी पसंद के उपहार पर बातचीत करें।

3.    विद्यालय में ध्वनि से जुड़ी गतिविधियाँ करें, जैसे – घंटी बजाना, ताली बजाना।

4.    बच्चे अपने परिवार के सदस्यों के साथ कहानी का नाट्य रूपांतरण करें।

5.    बच्चे अपने अनुभव साझा करें जब उन्होंने किसी को डराया या खुद डरे।

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पाठ योजना

पाठ 4 - "माँ"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    "माँ" कविता के माध्यम से मातृत्व और प्रेम की महत्ता को समझाना।

2.    भाषा कौशल को सुधारने के लिए कविता पठन और लेखन पर जोर देना।

3.    बच्चों में भावनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना।

4.    शब्दों के प्रयोग और उनके अर्थ को गहराई से समझाना।

5.    कविताओं की ध्वनि, तुकबंदी और लय को पहचानना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कविता को शुद्ध उच्चारण और सही लय के साथ पढ़ सकेंगे।

2.    कविता में आए नए शब्दों का अर्थ समझ सकेंगे।

3.    कविता में भावनाओं को पहचानकर अपनी सोच व्यक्त कर सकेंगे।

4.    नए शब्दों का उपयोग करते हुए दो-चार पंक्तियाँ लिख सकेंगे।

5.    मातृत्व और परिवार के महत्व को समझेंगे और साझा करेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    भावपूर्ण पाठनशिक्षक कविता को सही लय और भाव के साथ पढ़ेंगे।

2.    चित्र आधारित गतिविधिकविता से जुड़े चित्र दिखाकर चर्चा करना।

3.    शब्द खेल – ‘माँ’ में चंद्रबिंदु जोड़ने से अर्थ परिवर्तन की तरह अन्य शब्दों पर गतिविधि।

4.    रचनात्मक लेखनकविता से प्रेरित होकर बच्चे अपनी माँ के लिए दो पंक्तियाँ लिखेंगे।

5.    दृश्य-श्रव्य सहायताकविता से संबंधित वीडियो या गीत दिखाना।

6.    समूह चर्चा – ‘माँ हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण है?’ विषय पर चर्चा।

7.    कहानी जोड़नामाँ के प्रेम से जुड़ी एक छोटी कहानी सुनाना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    पर्यावरण अध्ययनपरिवार के सदस्यों और उनके कार्यों पर चर्चा।

2.    कला एवं शिल्पमाँ का चित्र बनाना और कविता लिखना।

3.    संगीतकविता को गाने की तरह गाकर प्रस्तुत करना।

4.    oral educationमाँ के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना विकसित करना।

5.    गणितकविता में आए संख्यात्मक शब्दों की पहचान।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

(क) मौखिक (Oral)

1.    बच्चे कविता को सही उच्चारण के साथ पढ़ेंगे।

2.    कविता में आए नए शब्दों के अर्थ बताएंगे।

(ख) लिखित (Written)

1.    कविता में आए शब्दों का उपयोग करके नए वाक्य बनाएंगे।

2.    माँ पर चार पंक्तियाँ लिखेंगे।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    क्या बच्चे माँ के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त कर पा रहे हैं?

2.    क्या वे कविता में आए भावों को समझकर अपनी राय दे सकते हैं?

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे सिर्फ कविता को याद करेंगे और पढ़ेंगे।

2.    बड़े बच्चे कविता का सार लिखेंगे और नए शब्दों का उपयोग करेंगे।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    पाठ्यपुस्तक – NCERT हिंदी पुस्तक।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपमाँ पर आधारित कविताएँ और गीत।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरकविता की पंक्तियों को विज़ुअल के रूप में दिखाना।

4.    फ्लैश कार्ड्सनए शब्दों और उनके अर्थ को समझाने के लिए।

5.    ऑनलाइन संसाधनमाँ से संबंधित कहानियाँ और प्रेरणादायक वीडियो।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    संचार कौशलकविता पढ़ने और अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता।

2.    रचनात्मकताकविता की शैली में अपनी माँ के लिए कुछ पंक्तियाँ लिखना।

3.    भावनात्मक बुद्धिमत्तामाँ के प्रेम को समझना और व्यक्त करना।

4.    सहयोगात्मक कार्यकविता का समूह में अभ्यास और प्रस्तुति।

5.    संवेदनशीलतामाता-पिता के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का भाव विकसित करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपनी माँ को एक धन्यवाद पत्र लिखेंगे।

2.    घर पर माँ की मदद करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

3.    विद्यालय में ‘माँ’ पर एक काव्य पाठ प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।

4.    बच्चे अपनी माँ की पसंदीदा चीज़ों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

5.    बच्चे माँ के साथ बिताए अपने सबसे अच्छे पल को साझा करेंगे।

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पाठ योजना

पाठ 5 -  "थाथू और मैं"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    बच्चों को परिवार और दादा-दादी के महत्व को समझाना।

2.    कहानी पढ़ने और समझने की क्षमता को विकसित करना।

3.    नई शब्दावली सीखने और उसका सही प्रयोग करने पर जोर देना।

4.    दादा-दादी के साथ बिताए पलों को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।

5.    बच्चों में कहानी लेखन और मौखिक अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ावा देना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कहानी को शुद्ध उच्चारण और सही लय के साथ पढ़ सकेंगे।

2.    कहानी में आए नए शब्दों का अर्थ समझ सकेंगे और उनका उपयोग कर सकेंगे।

3.    कहानी के पात्रों और उनकी भावनाओं को पहचान सकेंगे।

4.    अपने दादा-दादी के साथ बिताए अनुभवों को लिख सकेंगे।

5.    संगीतमय लय और कविता जैसी भाषा शैली को समझ सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    भावपूर्ण वाचनशिक्षक कहानी को सही उच्चारण और भाव के साथ पढ़ेंगे।

2.    चित्र चर्चाकहानी से जुड़े चित्रों को दिखाकर बच्चों से बातचीत करना।

3.    शब्द खेलनए शब्दों के अर्थ और उपयोग पर आधारित गतिविधियाँ।

4.    रचनात्मक लेखन – "मुझे अपने दादा-दादी के साथ क्या करना पसंद है?" पर लेखन कार्य।

5.    समूह चर्चा – "दादा-दादी के साथ समय बिताना क्यों ज़रूरी है?" विषय पर चर्चा।

6.    नाट्य रूपांतरणकहानी को नाटक के रूप में प्रस्तुत करना।

7.    ध्वनि और लय पहचानकहानी में आए शब्दों की ध्वनि और तुकबंदी पर गतिविधियाँ।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    पर्यावरण अध्ययनपरिवार के सदस्यों और उनकी भूमिकाओं पर चर्चा।

2.    कला एवं शिल्पदादा-दादी के साथ बिताए पलों का चित्र बनाना।

3.    संगीतकहानी की कुछ पंक्तियों को गाने की तरह प्रस्तुत करना।

4.    नैतिक शिक्षाबड़ों के प्रति सम्मान और प्यार का भाव विकसित करना।

5.    गणितकहानी में आए संख्यात्मक शब्दों की पहचान करना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    बच्चे कहानी को सही उच्चारण के साथ पढ़ेंगे।

2.    कहानी के पात्रों के बारे में अपने विचार व्यक्त करेंगे।

(ख) लिखित (Written)

1.    कहानी में आए नए शब्दों का उपयोग करके वाक्य बनाएंगे।

2.    "मेरे दादा-दादी" पर चार पंक्तियाँ लिखेंगे।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    क्या बच्चे अपने दादा-दादी के साथ समय बिताने के महत्व को समझ रहे हैं?

2.    क्या वे कहानी के भावों को अपने जीवन से जोड़ पा रहे हैं?

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे कहानी को याद करके सुनाएँगे।

2.    बड़े बच्चे कहानी का सारांश लिखेंगे और अपने अनुभव साझा करेंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – NCERT हिंदी पुस्तक।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपदादा-दादी पर आधारित कहानियाँ।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरकहानी के चित्रों को दिखाना।

4.    फ्लैश कार्ड्सनए शब्दों के अर्थ को समझाने के लिए।

5.    ऑनलाइन संसाधनपरिवार पर केंद्रित वीडियो और कहानियाँ।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    संचार कौशलकहानी सुनाने और अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता।

2.    रचनात्मकताअपने अनुभवों को कहानी के रूप में प्रस्तुत करना।

3.    भावनात्मक बुद्धिमत्तापरिवार के सदस्यों के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव।

4.    सहयोगात्मक कार्यकहानी को समूह में पढ़ना और चर्चा करना।

5.    संवेदनशीलताबड़ों की देखभाल और उनके साथ समय बिताने का महत्व।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने दादा-दादी के साथ एक दिन बिताने का अनुभव लिखेंगे।

2.    विद्यालय में 'दादा-दादी के साथ एक दिन' विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।

3.    बच्चे अपने दादा-दादी के साथ एक कहानी साझा करेंगे।

4.    परिवार के महत्व पर चर्चा करेंगे और अपने अनुभव साझा करेंगे।

5.    बच्चे घर जाकर अपने दादा-दादी को धन्यवाद पत्र लिखेंगे।

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पाठ योजना

पाठ 6 - "चींटा"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    बच्चों को कविता के माध्यम से शब्दों की लय और तुकबंदी का ज्ञान कराना।

2.    चींटी और उसके कार्यों को समझने में सहायता देना।

3.    कविता के माध्यम से बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ावा देना।

4.    कविता में आए शब्दों का सही उच्चारण और अर्थ समझाना।

5.    बच्चों को समूह में काम करने और सहयोग की भावना विकसित करने के लिए प्रेरित करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कविता को सही लय और उच्चारण के साथ पढ़ सकेंगे।

2.    कविता में आए नए शब्दों के अर्थ को समझ सकेंगे और उनका सही प्रयोग कर सकेंगे।

3.    कविता के भाव को समझकर उसे अपनी भाषा में व्यक्त कर सकेंगे।

4.    तुकबंदी वाले शब्दों को पहचान सकेंगे और नए तुकबंदी शब्द बना सकेंगे।

5.    कविता से जुड़े रचनात्मक कार्य कर सकेंगे, जैसे – चित्र बनाना, कहानी लिखना आदि।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    भावपूर्ण वाचनशिक्षक कविता को उचित लय और उच्चारण के साथ पढ़ेंगे।

2.    शब्द पहचान खेलकविता में आए तुकबंदी वाले शब्दों को खोजने और जोड़ने की गतिविधि।

3.    चित्र सहायक शिक्षणकविता में वर्णित वस्तुओं और घटनाओं के चित्र दिखाना।

4.    नाट्य रूपांतरणबच्चों को चींटी के कार्यों को नाटक के रूप में प्रस्तुत करने देना।

5.    सृजनात्मक लेखनबच्चों को अपनी पसंद की तुकबंदी वाली पंक्तियाँ बनाने के लिए प्रेरित करना।

6.    समूह चर्चाचींटी की मेहनत और परिश्रम की भावना पर चर्चा।

7.    व्यक्तिगत अनुभव साझा करनाबच्चों से पूछना कि वे खुद कैसे मेहनत और सहयोग करते हैं।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    पर्यावरण अध्ययनचींटी और अन्य छोटे जीवों के बारे में जानकारी।

2.    गणितकविता में संख्याओं या गणना से जुड़े शब्दों को पहचानना।

3.    कला एवं शिल्पकविता में वर्णित वस्तुओं और घटनाओं के चित्र बनाना।

4.    नैतिक शिक्षामेहनत, सहयोग और परिश्रम का महत्व समझाना।

5.    संगीतकविता को गाने के रूप में प्रस्तुत करना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    बच्चे कविता को सही उच्चारण और भाव के साथ पढ़ेंगे।

2.    कविता में आए शब्दों के अर्थ को बताएंगे।

(ख) लिखित (Written)

1.    कविता में आए तुकबंदी वाले शब्दों को पहचानकर लिखेंगे।

2.    "मेहनत का फल" विषय पर छोटे वाक्य लिखेंगे।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    क्या बच्चे कविता के संदेश को अपने जीवन में लागू कर रहे हैं?

2.    क्या वे सहयोग और मेहनत की भावना को समझ पा रहे हैं?

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे कविता को याद करके सुनाएँगे।

2.    बड़े बच्चे कविता का सारांश लिखेंगे और नए तुकबंदी शब्द बनाएंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – NCERT हिंदी पुस्तक।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपचींटी और उसके जीवन पर आधारित एनिमेशन।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरकविता के चित्रों को दिखाना।

4.    फ्लैश कार्ड्सतुकबंदी वाले शब्दों के लिए।

5.    ऑनलाइन संसाधनकविताओं पर आधारित गतिविधियाँ।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    संचार कौशलकविता सुनाने और अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता।

2.    रचनात्मकताकविता में नए तुकबंदी शब्द जोड़ना।

3.    भावनात्मक बुद्धिमत्तापरिश्रम और सहयोग का महत्व समझना।

4.    सहयोगात्मक कार्यकविता को समूह में पढ़ना और अभिनय करना।

5.    समस्या समाधान कौशलचींटी के जीवन से प्रेरणा लेकर मेहनत का महत्व समझना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने अनुभव साझा करेंगे कि वे कैसे मेहनत करते हैं।

2.    विद्यालय में "मेहनत का महत्व" विषय पर चर्चा आयोजित की जाएगी।

3.    बच्चे चींटी और अन्य छोटे जीवों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे।

4.    कक्षा में ‘धन्यवाद कार्ड’ बनाने की गतिविधि की जाएगी।

5.    बच्चे घर पर तुकबंदी वाली छोटी कविताएँ लिखने का प्रयास करेंगे।

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पाठ योजना

पाठ 7-  "टिल्लू जी "

1. संकल्पना (Concept)

1.    विद्यार्थियों में अनुशासन और ज़िम्मेदारी की भावना विकसित करना।

2.    पढ़ाई और स्कूल की आवश्यकताओं को गंभीरता से लेने की प्रेरणा देना।

3.    हास्य और रोचकता के माध्यम से सीखने को प्रभावी बनाना।

4.    याददाश्त और संगठन कौशल को मज़बूत करना।

5.    भाषा कौशल (कविता पाठ, शब्दावली, उच्चारण) को सुधारना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    छात्र कविता को सही उच्चारण और प्रवाह के साथ पढ़ते हैं।

2.    वे कविता का अर्थ समझते और उसका सारांश बताते हैं।

3.    वे अनुशासन और ज़िम्मेदारी का महत्त्व पहचानते हैं।

4.    कविता में प्रयुक्त नए शब्दों का उपयोग कर सकते हैं।

5.    वे अपनी दिनचर्या में संगठन और तैयारी को शामिल करते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    नाट्य रूपांतरण: कविता का अभिनय करवा कर बच्चों को अधिक जुड़ाव दिलाना।

2.    चर्चा पद्धति: कविता की घटनाओं पर खुली चर्चा करवाना।

3.    रोल-प्ले: विद्यार्थी टिल्लू और शिक्षक की भूमिका निभाएँ।

4.    सृजनात्मक लेखन: "अगर मैं टिल्लू की जगह होता तो..." पर लिखवाना।

5.    चित्र आधारित गतिविधि: कविता के अनुसार चित्र बनवाना।

6.    स्मरण शक्ति अभ्यास: कविता को याद करने के मज़ेदार तरीके अपनाना।

7.    ICT का उपयोग: कविता को वीडियो, ऑडियो और एनिमेशन के माध्यम से प्रस्तुत करना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    हिन्दी: कविता पाठ, शब्दावली, व्याकरण।

2.    नैतिक शिक्षा: ज़िम्मेदारी और अनुशासन का महत्त्व।

3.    चित्रकला: कविता से संबंधित चित्र बनाना।

4.    नाटक एवं नृत्य: कविता का अभिनय और प्रस्तुति।

5.    तकनीक: कविता का डिजिटल रूप से प्रदर्शन और अभ्यास।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.    मौखिक (Oral): कविता का वाचन और सारांश।

2.    लिखित (Written): कविता से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देना।

3.    व्यवहारिक (Behavioral): अनुशासन और ज़िम्मेदारी के व्यवहार का निरीक्षण।

4.    रचनात्मक (Creative): कविता का स्वयं चित्रण और नाट्य रूपांतरण।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    पाठ्यपुस्तक: हिंदी की सर्नदी कक्षा 2 की पुस्तक।

2.    ICT साधन: वीडियो, ऑडियो, प्रोजेक्टर, डिजिटल पाठ सामग्री।

3.    फ्लैशकार्ड: शब्दावली और अनुशासन से जुड़ी बातें समझाने के लिए।

4.    कार्यपत्रक: अभ्यास के लिए वर्कशीट और चित्र आधारित गतिविधियाँ।

5.    डायरी और संगठन टूल्स: बच्चों को अपनी ज़िम्मेदारियों को लिखने और याद रखने के लिए प्रेरित करना।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    आत्म-प्रबंधन: अपनी चीज़ों को व्यवस्थित रखना सीखना।

2.    समस्या समाधान: कठिनाइयों का समाधान खोजने की क्षमता विकसित करना।

3.    संचार कौशल: अपनी बात को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना।

4.    टीमवर्क: समूह में कार्य करने और दूसरों से सीखने की प्रवृत्ति।

5.    नैतिक शिक्षा: ज़िम्मेदारी, अनुशासन और ईमानदारी के मूल्य।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने बैग में ज़रूरी सामान सही तरीके से रखना सीखते हैं।

2.    विद्यालय में अनुशासन और ज़िम्मेदारी को अपनाने की प्रेरणा मिलती है।

3.    विद्यार्थी दिनचर्या को बेहतर तरीके से संगठित करना सीखते हैं।

4.    आत्म-निर्भरता और स्वयं के कार्यों की ज़िम्मेदारी लेने की आदत विकसित होती है।

5.    यह पाठ रोज़मर्रा की आदतों में सुधार लाने में सहायक होता है।

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पाठ योजना

पाठ 8 - "नटखट दिवाकर"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    बच्चों को कहानी के माध्यम से संख्याओं को जोड़ने की समझ विकसित करना।

2.    गिनती सीखने को रोचक और मजेदार बनाना।

3.    परिवार और आपसी सहयोग के महत्व को समझाना।

4.    बच्चों में गणितीय कौशल और तार्किक सोच विकसित करना।

5.    कहानी के पात्रों के माध्यम से भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे सरल जोड़ करने में सक्षम होंगे।

2.    कहानी के मुख्य पात्रों और घटनाओं को समझ सकेंगे।

3.    संख्याओं को जोड़कर नए उदाहरण बना सकेंगे।

4.    कहानी को सुनकर अपने शब्दों में व्यक्त कर सकेंगे।

5.    परिवार और सहयोग की भावना को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    भावपूर्ण कहानी वाचनशिक्षक कहानी को रोचक तरीके से पढ़ेंगे।

2.    चित्रों का उपयोगकहानी में वर्णित घटनाओं को चित्रों के माध्यम से समझाना।

3.    भूमिका निभानाबच्चों को कहानी के पात्रों की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना।

4.    गिनती का खेलबच्चों से जोड़ की नई पहेलियाँ हल करवाना।

5.    कहानी का विस्तारबच्चों को कहानी में नए घटनाक्रम जोड़ने देना।

6.    दैनिक जीवन से जोड़नाबच्चों से पूछना कि वे घर में गिनती का प्रयोग कैसे करते हैं।

7.    समूह चर्चाकहानी में आए पात्रों के गुणों पर चर्चा कराना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    गणितसंख्याओं को जोड़ने और समय की गणना करना।

2.    पर्यावरण अध्ययनदूध, बर्तन और खाने से जुड़े प्रश्न पूछना।

3.    कला एवं शिल्पपात्रों और घटनाओं के चित्र बनाना।

4.    नैतिक शिक्षाधैर्य, प्रतीक्षा और परिवार के महत्व पर चर्चा।

5.    संगीतगिनती पर आधारित कविताएँ और गीत गाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    बच्चे कहानी के मुख्य पात्रों का नाम बताएंगे।

2.    कहानी में आए जोड़ के उदाहरणों को हल करेंगे।

(ख) लिखित (Written)

1.    कहानी से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देंगे।

2.    "परिवार में सहयोग" विषय पर छोटे वाक्य लिखेंगे।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चे अपने परिवार में सहयोग करते हैं या नहीं, इस पर चर्चा।

2.    बच्चे गिनती और जोड़ को दैनिक जीवन में कैसे प्रयोग करते हैं?

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे कहानी को चित्रों के माध्यम से समझाएंगे।

2.    बड़े बच्चे कहानी में नए जोड़ के उदाहरण जोड़ेंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – NCERT हिंदी पुस्तक।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपगिनती और जोड़ पर आधारित एनिमेशन।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टरजोड़ की गतिविधियाँ दिखाने के लिए।

4.    फ्लैश कार्ड्ससंख्याओं को जोड़ने के लिए।

5.    ऑनलाइन संसाधनगणितीय खेल और कहानियाँ।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    गणितीय सोचजोड़ने और संख्याओं की समझ विकसित करना।

2.    संचार कौशलकहानी को सुनाने और विचार व्यक्त करने की क्षमता।

3.    समस्या समाधान कौशलजोड़ और गिनती को आसानी से समझना।

4.    भावनात्मक बुद्धिमत्तापरिवार और धैर्य का महत्व समझना।

5.    सहयोगात्मक कार्यकहानी को समूह में पढ़ना और चर्चा करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने घर में रोजमर्रा के कार्यों में जोड़ और गिनती का उपयोग करेंगे।

2.    परिवार में सहयोग और जिम्मेदारी की भावना विकसित करेंगे।

3.    खेल-खेल में जोड़ और घटाव का अभ्यास करेंगे।

4.    समय का सही उपयोग और धैर्य रखने की आदत डालेंगे।

5.    नए जोड़ बनाकर कहानी का विस्तार करेंगे।

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पाठ योजना:

पाठ 9 - "तीन दोस्त"

1. संकल्पना (Concept)

1.    बच्चों को रंगों के महत्व और उनके आपसी संबंधों की समझ देना।

2.    रंगों के मेल से नए रंगों के बनने की प्रक्रिया को रोचक तरीके से सिखाना।

3.    मित्रता, सहयोग और आपसी मेलजोल का संदेश देना।

4.    प्रकृति में मौजूद रंगों की विविधता को पहचानना।

5.    रंगों के माध्यम से सौंदर्यबोध और रचनात्मकता को विकसित करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    छात्र प्राथमिक और द्वितीयक रंगों को पहचानते और उनके नाम बताते हैं।

2.    वे रंगों के मेल से नए रंग बनाने की प्रक्रिया को समझते हैं।

3.    वे सहयोग और मित्रता के महत्व को पहचानते हैं।

4.    वे रंगों से संबंधित वस्तुओं के नाम लिखते और चित्रों में रंग भरते हैं।

5.    वे रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेकर अपनी अभिव्यक्ति को विकसित करते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    प्रयोगात्मक गतिविधि: रंगों को मिलाकर नए रंग बनाने का प्रयोग करवाना।

2.    चर्चा पद्धति: बच्चों से रंगों और मित्रता पर बातचीत करवाना।

3.    चित्र आधारित शिक्षण: विभिन्न रंगों से जुड़े चित्र दिखाकर उनके नाम बताने को कहना।

4.    नाट्य रूपांतरण: कहानी को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करवाना।

5.    रचनात्मक लेखन: "मेरा पसंदीदा रंग और वह मुझे क्या याद दिलाता है?" पर लिखवाना।

6.    खेल-खेल में शिक्षण: रंग पहचानने और मेल कराने से जुड़े खेल खिलाना।

7.    ICT का उपयोग: रंगों की जानकारी देने वाले वीडियो दिखाना और डिजिटल गतिविधियाँ कराना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञान: प्रकाश और रंगों के बनने की प्रक्रिया।

2.    कला: रंगों का मिश्रण और चित्रकारी।

3.    सामाजिक अध्ययन: सांस्कृतिक परंपराओं में रंगों का महत्व।

4.    गणित: रंगों की गिनती और पैटर्न बनाना।

5.    भाषा: रंगों से जुड़े शब्दों का उच्चारण और लिखना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.    मौखिक (Oral): रंगों के नाम पूछना और कहानी का सारांश सुनाना।

2.    लिखित (Written): रंगों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर लिखवाना।

3.    व्यवहारिक (Behavioral): गतिविधियों में भागीदारी और मित्रता का प्रदर्शन।

4.    रचनात्मक (Creative): चित्रकारी, रंगों की पहचान और रंग मिश्रण गतिविधियाँ।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    पाठ्यपुस्तक: हिंदी की "सारंगी" कक्षा 2 की पुस्तक।

2.    ICT साधन: रंगों से संबंधित शैक्षिक वीडियो, प्रोजेक्टर, डिजिटल चित्र।

3.    फ्लैशकार्ड: रंगों के नाम और संबंधित वस्तुओं के चित्र।

4.    कार्यपत्रक: रंगों की पहचान और नए रंग बनाने के लिए वर्कशीट।

5.    रंग और ब्रश: रंगों के मिश्रण और चित्रकारी के लिए।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    रचनात्मकता: नए रंग बनाने और चित्रकारी में कौशल विकसित करना।

2.    सहयोग और टीमवर्क: समूह में कार्य करके सीखने की प्रवृत्ति।

3.    आलोचनात्मक सोच: रंगों की विशेषताओं और उनकी उपयोगिता को समझना।

4.    संचार कौशल: अपने पसंदीदा रंग के बारे में बताना और विचार साझा करना।

5.    व्यावसायिक शिक्षा: डिजाइनिंग, पेंटिंग और कला से जुड़े संभावित करियर विकल्पों को समझना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने परिवेश में रंगों को पहचानकर उनका नाम बताते हैं।

2.    वे विभिन्न अवसरों पर रंगों के प्रयोग को समझते हैं (जैसे त्योहारों में)।

3.    वे समूह में कार्य करते हुए मित्रता और सहयोग के महत्व को अपनाते हैं।

4.    रंगों का प्रयोग कर पोस्टर, चार्ट और चित्रकारी में रुचि विकसित करते हैं।

5.    अपने कपड़ों और खिलौनों में रंगों की पहचान कर उनके बारे में चर्चा करते हैं।

 

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पाठ योजना

पाठ 10 - "दुनिया रंग-बिरंगी"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    रंगों की सुंदरता और विविधता को समझाना।

2.    विभिन्न रंगों से जुड़ी प्राकृतिक और वस्तुओं की पहचान कराना।

3.    कविताओं के माध्यम से रंगों की कल्पनाशीलता को बढ़ावा देना।

4.    बच्चों को स्वयं की कविता लिखने और रंगों से जुड़ी अभिव्यक्ति का अवसर देना।

5.    भाषा कौशल और रचनात्मकता का विकास करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे विभिन्न रंगों को पहचान सकेंगे और उनके उदाहरण दे सकेंगे।

2.    कविता को सही लय और भाव से पढ़ सकेंगे।

3.    रंगों पर आधारित अपनी छोटी कविता लिख सकेंगे।

4.    भाषा के खेल और पहेलियों के माध्यम से नए शब्द सीख सकेंगे।

5.    पर्यावरण में पाए जाने वाले रंगों की पहचान कर सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    कविता वाचन और भावानुवाद – "दुनिया रंग-बिरंगी" कविता का सुंदर ढंग से वाचन कराना।

2.    चित्रों के माध्यम से रंगों की पहचानरंगीन चित्र दिखाकर बच्चों को रंगों के नाम बताने के लिए प्रेरित करना।

3.    अनुभव साझा करनाबच्चों से उनके पसंदीदा रंग और उनसे जुड़ी यादें साझा करवाना।

4.    रंग वर्गीकरण खेलरंगीन वस्त्रों, फलों और फूलों को समूहबद्ध कराना।

5.    रचनात्मक लेखनबच्चों से उनकी पसंदीदा रंग पर छोटी कविता लिखवाना।

6.    शब्दों का खेलरंगों से जुड़े शब्दों की पहचान और मेल-जोल गतिविधि कराना।

7.    चित्रकला गतिविधिबच्चों को अपनी कल्पना के अनुसार रंगीन चित्र बनाने देना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानइंद्रधनुष के रंगों की उत्पत्ति और प्रकाश से जुड़े तथ्य।

2.    गणितरंगों के मेल से बनने वाले नए रंगों को जोड़ना और गिनती सिखाना।

3.    कला एवं शिल्परंगों के संयोजन से कलाकृतियाँ बनवाना।

4.    पर्यावरण अध्ययनप्रकृति में पाए जाने वाले विभिन्न रंगों पर चर्चा।

5.    सामाजिक अध्ययनभारत में विभिन्न त्योहारों और रंगों के महत्व को जोड़ना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    कविता की पंक्तियाँ पढ़वाना और उनके रंगों की पहचान कराना।

2.    बच्चों से उनके पसंदीदा रंगों पर चर्चा करना।

(ख) लिखित (Written)

1.    रंगों पर 3-4 वाक्यों की कविता लिखवाना।

2.    रंगों के मेल से बनने वाले नए रंगों की सूची बनवाना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चे कितनी रुचि से रंगों को पहचानते और वर्गीकृत करते हैं।

2.    कविता लेखन और चित्रकला गतिविधि में उनकी रचनात्मकता को देखना।

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे रंगों को चित्रों के माध्यम से पहचानेंगे।

2.    बड़े बच्चे नई कविताएँ लिखने और रंगों का विवरण देने में सक्षम होंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – "दुनिया रंग-बिरंगी" कविता की किताब।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपरंगों से संबंधित शैक्षिक वीडियो।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टररंगों के मेल का डिजिटल प्रदर्शन।

4.    रंगीन चार्ट और पेपररंगों की पहचान और मिश्रण की गतिविधियों के लिए।

5.    ऑनलाइन संसाधनबच्चों के लिए रंगों से जुड़ी इंटरेक्टिव वेबसाइट्स।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    रचनात्मकतारंगों के संयोजन से नई चीज़ें बनाना।

2.    संचार कौशलरंगों और उनके महत्व को शब्दों में व्यक्त करना।

3.    समस्या समाधान कौशलरंगों के मेल से सही रंग बनाने का अभ्यास।

4.    भावनात्मक बुद्धिमत्तारंगों से जुड़ी भावनाओं और पर्यावरण की समझ।

5.    सहयोगात्मक कार्यसमूह में रंगों से जुड़ी गतिविधियाँ करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे अपने कपड़ों और वस्तुओं के रंगों को पहचानेंगे और उनका नाम बताएंगे।

2.    प्राकृतिक रंगों की पहचान करके वे पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझेंगे।

3.    त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों में रंगों की भूमिका को पहचानेंगे।

4.    रंगों की मदद से दैनिक जीवन में कलात्मकता और सौंदर्यबोध विकसित करेंगे।

5.    रंगों के उपयोग से आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेंगे।

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पाठ योजना

 पाठ 11 – कौन

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    प्रकृति के महत्वपूर्ण तत्वों (सूरज, चाँद, नदी, पर्वत, फूल आदि) का महत्व समझाना।

2.    कविता के माध्यम से बच्चों की कल्पनाशक्ति को विकसित करना।

3.    प्रश्न पूछने और तर्क करने की क्षमता बढ़ाना।

4.    भाषा कौशल, कविता वाचन और लेखन कौशल को विकसित करना।

5.    पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कविता का सही उच्चारण और अर्थ समझ सकेंगे।

2.    प्रकृति के विभिन्न तत्वों की महत्ता को पहचान सकेंगे।

3.    "अगर न होता..." वाक्य संरचना का सही प्रयोग कर सकेंगे।

4.    कविता की शैली को समझकर अपनी छोटी कविता लिख सकेंगे।

5.    इंद्रधनुष और रंगों की प्राकृतिक प्रक्रिया को पहचान सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    कविता वाचन और अर्थ समझानाकविता को भावपूर्ण तरीके से पढ़वाना और अर्थ स्पष्ट करना।

2.    प्रश्नोत्तर गतिविधि – "अगर न होता..." वाले प्रश्नों के उत्तर बच्चों से निकलवाना।

3.    चित्र गतिविधिसूरज, चाँद, नदी, पहाड़, फूल आदि के चित्र दिखाकर चर्चा करवाना।

4.    रचनात्मक लेखनबच्चों से "अगर न होता..." प्रारूप पर 2-3 वाक्य लिखवाना।

5.    रंगों की गतिविधिइंद्रधनुष बनवाना और रंगों से जुड़ी जानकारी देना।

6.    समूह चर्चाबच्चों से उनके पसंदीदा प्राकृतिक तत्वों के बारे में चर्चा करवाना।

7.    नाट्य प्रस्तुतिकविता के आधार पर छोटे नाट्य रूपांतरण करवाना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानइंद्रधनुष कैसे बनता है? सूर्य और चंद्रमा का महत्व।

2.    गणितरंगों की गिनती, आकार और संयोजन।

3.    कला एवं शिल्पचित्रकला के माध्यम से प्राकृतिक तत्वों की रचना।

4.    पर्यावरण अध्ययनपेड़, पानी, हवा और पर्वत का हमारे जीवन में योगदान।

5.    सामाजिक अध्ययनविभिन्न स्थानों के प्राकृतिक सौंदर्य का महत्व।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    कविता का वाचन और भावानुवाद करवाना।

2.    "अगर न होता..." वाले प्रश्न पूछकर उत्तर दिलवाना।

(ख) लिखित (Written)

1.    कविता से संबंधित रिक्त स्थान भरने के प्रश्न देना।

2.    "अगर न होता..." प्रारूप में 3-4 वाक्य लिखवाना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चों की कविता लेखन में रुचि और भागीदारी का मूल्यांकन।

2.    समूह चर्चा और चित्रकला में उनकी सहभागिता देखना।

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे चित्रों की पहचान करेंगे और सरल उत्तर देंगे।

2.    बड़े बच्चे कल्पना आधारित कविता लिखने और गहराई से चर्चा करने में सक्षम होंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – "अगर न होता चाँद" कविता की किताब।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपइंद्रधनुष और प्रकृति से जुड़ी शैक्षिक फिल्में।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टररंगों और प्राकृतिक दृश्यों का डिजिटल प्रदर्शन।

4.    चित्र और पोस्टरसूरज, चाँद, नदी, पहाड़, फूल आदि के पोस्टर।

5.    ऑनलाइन संसाधनकविता से जुड़े इंटरैक्टिव वीडियो और गतिविधियाँ।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    रचनात्मकताबच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देना।

2.    संचार कौशलकविता वाचन और विचार साझा करने का अवसर देना।

3.    समस्या समाधान कौशल – "अगर न होता..." जैसी स्थितियों पर तर्क कराना।

4.    भावनात्मक बुद्धिमत्ताप्रकृति और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना।

5.    सहयोगात्मक कार्यसमूह में चर्चा और गतिविधियाँ कराना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे सूरज, चाँद, नदी, पेड़ आदि की उपयोगिता को समझेंगे।

2.    इंद्रधनुष बनने की प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पहचानेंगे।

3.    पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को जानेंगे।

4.    कविता लेखन और चित्रकला में अपनी रचनात्मकता को विकसित करेंगे।

5.    "अगर न होता..." जैसे सवालों पर गहराई से सोचने की आदत डालेंगे।

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पाठ योजना

पाठ 12 - "बैंगनी जोजो"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    कहानी को पढ़कर कल्पनाशक्ति को विकसित करना।

2.    रंगों की पहचान और नामों को सही तरीके से सीखना।

3.    प्रश्न पूछने और तर्क करने की क्षमता बढ़ाना।

4.    कहानी से संबंधित शब्दावली का विस्तार करना।

5.    कहानी को चित्रों और गतिविधियों से जोड़कर रोचक बनाना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कहानी को ध्यानपूर्वक पढ़ सकेंगे और उसका अर्थ समझ सकेंगे।

2.    कहानी के पात्रों और घटनाओं को क्रमबद्ध कर सकेंगे।

3.    विभिन्न रंगों के नाम पहचानकर उनका सही उपयोग कर सकेंगे।

4.    "अगर जोजो इन जानवरों के पास जाता तो क्या बातचीत होती?" इस पर रचनात्मक उत्तर दे सकेंगे।

5.    कहानी से प्रेरित होकर अपनी खुद की छोटी कहानी बना सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    चित्र-वाचन तकनीककहानी को चित्रों के माध्यम से पढ़कर समझाना।

2.    रंगों की गतिविधिबच्चों को रंगों के नाम पहचानने और चित्रों में रंग भरवाने की गतिविधि कराना।

3.    समूह चर्चाकहानी में आए पात्रों और घटनाओं पर बच्चों से चर्चा करवाना।

4.    प्रश्नोत्तर तकनीक – "जोजो के बैंगनी धब्बे कहां से आए?" जैसे प्रश्न पूछकर बच्चों को सोचने पर मजबूर करना।

5.    रचनात्मक लेखनबच्चों से कहानी के आधार पर अपनी खुद की छोटी कहानी लिखवाना।

6.    भूमिका निभाना (Role Play)जोजो और अन्य पात्रों का अभिनय करवाना।

7.    पहेली हल करवानारंगों से संबंधित शब्द पहेली हल कराना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानरंग कैसे बनते हैं? रंगों का मिश्रण कैसे किया जाता है?

2.    गणितरंगों को गिनना और क्रमबद्ध करना।

3.    कला एवं शिल्पजोजो और अन्य जानवरों के चित्र बनाना और रंग भरना।

4.    पर्यावरण अध्ययनजानवरों और पेड़ों का महत्त्व समझाना।

5.    सामाजिक अध्ययनरंगों का सांस्कृतिक महत्त्व और विभिन्न त्योहारों में रंगों की भूमिका।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    कहानी के पात्रों और घटनाओं से जुड़े मौखिक प्रश्न पूछना।

2.    बच्चों को कहानी में आए संवाद बोलने को कहना।

(ख) लिखित (Written)

1.    कहानी से संबंधित रिक्त स्थान भरने के प्रश्न देना।

2.    रंगों के नाम लिखवाना और चित्रों में रंग भरवाना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चों की कहानी सुनने और उसमें रुचि लेने की क्षमता का मूल्यांकन।

2.    गतिविधियों में भाग लेने की उनकी सहभागिता देखना।

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे रंगों की पहचान करेंगे और सरल उत्तर देंगे।

2.    बड़े बच्चे रचनात्मक कहानी लेखन और गहराई से चर्चा करेंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – "बैंगनी जोजो" कहानी की किताब।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपरंगों और जानवरों से जुड़ी शैक्षिक फिल्में।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टररंगों और जानवरों का डिजिटल प्रदर्शन।

4.    चित्र और पोस्टरजोजो और अन्य जानवरों के पोस्टर।

5.    ऑनलाइन संसाधनरंगों से जुड़े इंटरैक्टिव वीडियो और गतिविधियाँ।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    रचनात्मकताबच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देना।

2.    संचार कौशलकहानी वाचन और विचार साझा करने का अवसर देना।

3.    समस्या समाधान कौशल – "जोजो को बैंगनी धब्बे कहां से मिले?" जैसी पहेलियाँ हल कराना।

4.    भावनात्मक बुद्धिमत्ताजानवरों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना।

5.    सहयोगात्मक कार्यसमूह में चर्चा और गतिविधियाँ कराना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे रंगों की पहचान और उपयोग में निपुण होंगे।

2.    वे जानवरों और प्रकृति के प्रति अधिक संवेदनशील बनेंगे।

3.    कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को विकसित करेंगे।

4.    कहानी लेखन और संवाद निर्माण में रुचि लेंगे।

5.    "रंगों का प्रभाव" और "जानवरों का संरक्षण" जैसी सामाजिक विषयों पर जागरूक होंगे।

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पाठ योजना

पाठ 13 - "तोसिया का सपना"

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    सपनों और कल्पना की दुनिया को समझना।

2.    रंगों के महत्व और उनके प्रभाव को जानना।

3.    कहानी को पढ़कर अवलोकन क्षमता विकसित करना।

4.    बातचीत और विचार-विमर्श के माध्यम से भाषा कौशल को बढ़ाना।

5.    रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना और बच्चों की अभिव्यक्ति को मजबूत बनाना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    बच्चे कहानी को पढ़ और समझ सकेंगे।

2.    रंगों की पहचान कर उनके नाम सही से लिख और बोल सकेंगे।

3.    कहानी में आए घटनाक्रम को सही क्रम में व्यवस्थित कर सकेंगे।

4.    सपनों और वास्तविकता के बीच का अंतर समझ पाएंगे।

5.    अपने विचारों को मौखिक और लिखित रूप में व्यक्त कर सकेंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)  

1.    चित्र-वाचन तकनीककहानी को चित्रों के माध्यम से पढ़कर समझाना।

2.    सृजनात्मक लेखनबच्चों से सपनों पर आधारित अपनी खुद की कहानी लिखवाना।

3.    भूमिका निभाना (Role Play)बच्चों को तोदसया, नानी, माँ आदि के संवाद बोलने देना।

4.    स्मृति और कल्पना गतिविधिबच्चों से पूछना कि उन्होंने कभी ऐसा सपना देखा है?

5.    रंग पहचान खेलकक्षा में विभिन्न रंगीन वस्तुएँ लाकर बच्चों से उनके रंगों के बारे में पूछना।

6.    संगीत और कवितारंगों पर आधारित कविताएँ या गीत गाना।

7.    प्रश्नोत्तर तकनीक – "अगर सच में सारे रंग गायब हो जाएँ तो क्या होगा?" जैसे प्रश्न पूछकर बच्चों को सोचने पर मजबूर करना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानरंग कैसे बनते हैं? प्रकाश और रंगों का विज्ञान।

2.    गणितरंगों के समूह बनाकर उनकी गणना कराना।

3.    कला एवं शिल्परंगीन कागज़ों से कोलाज बनवाना।

4.    पर्यावरण अध्ययनप्रकृति में पाए जाने वाले रंगों पर चर्चा करना।

5.    सामाजिक अध्ययनविभिन्न संस्कृतियों में रंगों का महत्व समझाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)       

(क) मौखिक (Oral)

1.    कहानी से जुड़े प्रश्न पूछना।

2.    बच्चों को अपने सपनों के बारे में बताने देना।

(ख) लिखित (Written)

1.    रंगों से जुड़े रिक्त स्थान भरने के प्रश्न देना।

2.    कहानी के घटनाक्रम को सही क्रम में लगाने का कार्य देना।

(ग) व्यवहारिक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

1.    बच्चों की चर्चा में भागीदारी का निरीक्षण करना।

2.    उनकी कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को परखना।

(घ) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए (For All Levels)

1.    छोटे बच्चे रंगों की पहचान करेंगे और सरल उत्तर देंगे।

2.    बड़े बच्चे कहानी के गहरे अर्थ को समझकर विस्तृत उत्तर देंगे।

 

6. संसाधन (Resources)      

1.    पाठ्यपुस्तक – "तोसिया का सपना" की किताब।

2.    वीडियो/ऑडियो क्लिपरंगों और सपनों से जुड़ी शैक्षिक फिल्में।

3.    स्मार्ट बोर्ड/प्रोजेक्टररंगों और प्राकृतिक दृश्य का डिजिटल प्रदर्शन।

4.    चित्र और पोस्टरतोदसया, नानी और रंगीन वस्तुओं के पोस्टर।

5.    ऑनलाइन संसाधनरंगों और सपनों से जुड़े इंटरैक्टिव वीडियो।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    रचनात्मकताबच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देना।

2.    संचार कौशलकहानी वाचन और विचार साझा करने का अवसर देना।

3.    समस्या समाधान कौशल – "अगर दुनिया में रंग न हों तो?" जैसी पहेलियाँ हल कराना।

4.    भावनात्मक बुद्धिमत्तारंगों और भावनाओं के बीच संबंध को समझाना।

5.    सहयोगात्मक कार्यसमूह में चर्चा और गतिविधियाँ कराना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे रंगों की पहचान और उपयोग में निपुण होंगे।

2.    वे सपनों और वास्तविकता के बीच अंतर समझ पाएंगे।

3.    कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को विकसित करेंगे।

4.    कहानी लेखन और संवाद निर्माण में रुचि लेंगे।

5.    "रंगों का प्रभाव" और "स्वप्न की शक्ति" जैसी सामाजिक विषयों पर जागरूक होंगे।

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पाठ योजना

पाठ  14 - तालाब

1. संकल्पना (Concept)

1.    तालाब जल का एक प्राकृतिक स्रोत है, जिसमें अनेक जीव-जंतु रहते हैं।

2.    तालाब में पाए जाने वाले जीवों की विशेषताओं और उनके जीवन चक्र को समझना।

3.    तालाब के पारिस्थितिक महत्व और उसमें रहने वाले पक्षियों और जीवों की भूमिका।

4.    तालाब के आसपास का पर्यावरण और उसमें होने वाले मौसमी परिवर्तन।

5.    तालाब की स्वच्छता और उसका संरक्षण क्यों आवश्यक है?

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes )

1.    छात्र तालाब में रहने वाले जीवों के नाम पहचानते हैं और उनके बारे में बता सकते हैं।

2.    वे तालाब के पारिस्थितिक संतुलन की आवश्यकता को समझते हैं।

3.    वे यह पहचानते हैं कि तालाब किन जीवों के लिए आवश्यक है।

4.    छात्र तालाब की स्वच्छता और जल संरक्षण के उपाय बता सकते हैं।

5.    वे वर्तमान काल के वाक्यों का प्रयोग करते हुए तालाब के बारे में लिख और बोल सकते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    चित्र और वार्तालापतालाब और उसके जीवों के चित्र दिखाकर बच्चों से बातचीत करवाई जाएगी।

2.    कहानी पढ़ना और चर्चा – "तालाब" पाठ का वाचन और उसमें पूछे गए प्रश्नों पर चर्चा।

3.    भूमिका-अभिनय (Role Play)छात्रों को तालाब के जीवों का किरदार निभाने के लिए प्रेरित करना।

4.    समूह चर्चातालाब में रहने वाले जीवों और उनके महत्व पर चर्चा।

5.    वर्कशीट और गतिविधियाँतालाब से जुड़े चित्रों को नाम से जोड़ने की गतिविधि।

6.    पर्यावरण जागरूकता अभियानतालाब की सफाई और संरक्षण के सुझाव देने के लिए पोस्टर बनाना।

7.    भ्रमण गतिविधियदि संभव हो तो पास के तालाब का अवलोकन करना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानतालाब के पारिस्थितिकी तंत्र और उसमें रहने वाले जीवों का अध्ययन।

2.    पर्यावरण अध्ययनजल संरक्षण और तालाबों की स्वच्छता का महत्व।

3.    गणिततालाब में मौजूद विभिन्न जीवों की गिनती और उनकी तुलना।

4.    भाषा (हिंदी)तालाब पर निबंध लेखन और कविता लेखन।

5.    चित्रकलातालाब का दृश्य बनाकर उसमें रहने वाले जीवों को रंग भरना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment - सभी स्तरों के लिए मूल्यांकन)

1.    मौखिक (Oral Assessment)

o   तालाब में रहने वाले जीवों के नाम बताना।

o   तालाब की स्वच्छता पर बच्चों के विचार।

2.    लिखित (Written Assessment)

o   तालाब पर 5 वाक्य लिखना।

o   तालाब से संबंधित कहानी पढ़कर प्रश्नों के उत्तर देना।

3.    व्यवहारात्मक (Behavioral Assessment)

o   तालाब की स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए छात्रों की भागीदारी।

o   पर्यावरणीय गतिविधियों में उनकी सहभागिता।

 

6. संसाधन (Resources - ICT सहित)

1.    पाठ्यपुस्तक और संदर्भ पुस्तकें

2.    तालाब से जुड़े चित्र और चार्ट

3.    वीडियो और एनिमेशन (ICT Resource)तालाब के पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित वीडियो।

4.    कार्यपत्रक (Worksheets)

5.    कक्षा में प्रदर्शनी (Classroom Display)तालाब का मॉडल बनाना।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value Education / Vocational Skill)

1.    समस्या समाधान कौशलतालाब को स्वच्छ रखने के लिए उपाय सुझाना।

2.    सहयोग और संवाद कौशलसमूह चर्चा और गतिविधियों में भागीदारी।

3.    रचनात्मकतातालाब पर कहानी लेखन और चित्र बनाना।

4.    पर्यावरणीय जिम्मेदारीजल संरक्षण और स्वच्छता के महत्व को समझना।

5.    सामाजिक जागरूकतासमुदाय में तालाबों की स्थिति पर चर्चा करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    स्थानीय तालाबों का दौरा और उनका अवलोकन।

2.    घर के आसपास पानी के स्रोतों की स्वच्छता बनाए रखने की आदत डालना।

3.    परिवार के सदस्यों को जल संरक्षण के महत्व के बारे में बताना।

4.    तालाब और उसके जीवों के बारे में पोस्टर बनाना और स्कूल में प्रदर्शित करना।

5.    तालाबों के महत्व और उनकी स्वच्छता पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत करना।

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पाठ योजना

पाठ 15 - बीज

1. संकल्पना (Concept)

1.    बीज क्या होते हैं और वे कैसे उगते हैं।

2.    बीज के अंकुरण की प्रक्रिया और आवश्यकताएँ।

3.    बीज से पौधा बनने की प्रक्रिया और उसकी देखभाल।

4.    बीजों के प्रकार और उनके महत्व को समझना।

5.    प्रकृति के साथ हमारे संबंध को महसूस करना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes )

1.    छात्र बीज की परिभाषा और उसके प्रकार को पहचानते हैं।

2.    वे बीज के उगने की प्रक्रिया को समझते हैं।

3.    वे यह समझते हैं कि पौधे को बढ़ने के लिए किन तत्वों की जरूरत होती है।

4.    छात्र बीज से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देते हैं।

5.    वे बीज बोने और उसकी देखभाल करने का अनुभव प्राप्त करते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    कहानी और चर्चा – "मुझे एक बीज मिला" कहानी का वाचन और चर्चा।

2.    प्रयोगात्मक गतिविधिकाले चने या किसी अन्य बीज को बोकर उसका अवलोकन करना।

3.    चित्रों के माध्यम से शिक्षणबीज के अंकुरण की प्रक्रिया को चित्रों के जरिए समझाना।

4.    समूह गतिविधिछात्रों को समूहों में बाँटकर बीजों के प्रकारों पर चर्चा कराना।

5.    प्रश्नोत्तर सत्रबीज बोने और उनकी आवश्यकताओं से जुड़े प्रश्न पूछना।

6.    रचनात्मक लेखन – "अगर मैं एक बीज होता तो..." पर छोटे लेख लिखवाना।

7.    भ्रमणयदि संभव हो तो छात्रों को स्कूल के बगीचे में ले जाकर पौधों को दिखाना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानबीज से पौधा बनने की प्रक्रिया।

2.    पर्यावरण अध्ययनपेड़-पौधों की देखभाल और उनकी जरूरतें।

3.    गणितबीजों की गिनती और उनके अंकुरण का समय।

4.    भाषा (हिंदी)बीज पर कविता और निबंध लेखन।

5.    चित्रकलाबीज बोने और अंकुरण की प्रक्रिया का चित्र बनाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment - सभी स्तरों के लिए मूल्यांकन)

1.    मौखिक (Oral Assessment)

o   बीज की पहचान और उसकी विशेषताएँ बताना।

o   कहानी के प्रश्नों के उत्तर देना।

2.    लिखित (Written Assessment)

o   बीज के उगने की प्रक्रिया को क्रमबद्ध रूप में लिखना।

o   कहानी के आधार पर प्रश्नों का उत्तर देना।

3.    व्यवहारात्मक (Behavioral Assessment)

o   बीज बोने और उसकी देखभाल में भाग लेना।

o   पौधों की देखभाल के प्रति रुचि दिखाना।

 

6. संसाधन (Resources - ICT सहित)

1.    पाठ्यपुस्तक और संदर्भ पुस्तकें

2.    बीज और पौधों के चार्ट और चित्र

3.    वीडियो (ICT Resource)बीज के अंकुरण की प्रक्रिया पर आधारित वीडियो।

4.    कार्यपत्रक (Worksheets)

5.    कक्षा में प्रयोग (Classroom Experiment)बीज बोने और अंकुरण का अवलोकन।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value Education / Vocational Skill)

1.    विश्लेषणात्मक सोचबीज के बढ़ने की प्रक्रिया को समझना।

2.    सहयोग और संवाद कौशलसमूह में कार्य करना और विचार साझा करना।

3.    रचनात्मकताबीज पर कविता लिखना और चित्र बनाना।

4.    पर्यावरणीय जिम्मेदारीपौधों की देखभाल के महत्व को समझना।

5.    सामाजिक जागरूकताहरे-भरे पर्यावरण की जरूरत को समझना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    घर पर बीज बोने और उसकी देखभाल करने का प्रोजेक्ट।

2.    स्कूल के बगीचे में पौधे लगाने की गतिविधि में भाग लेना।

3.    परिवार के सदस्यों को पौधे उगाने और उनका महत्व बताने के लिए प्रेरित करना।

4.    बीज से जुड़े प्रश्नों पर चर्चा करना और अपने अनुभव साझा करना।

5.    बीज बोने और अंकुरण की प्रक्रिया पर कक्षा में प्रेजेंटेशन देना।

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पाठ योजना

पाठ 16 - किसान

1. संकल्पना (Concept)

1.    किसान का जीवन कठिनाइयों और मेहनत से भरा होता है।

2.    किसान सुबह जल्दी उठकर खेतों में काम करता है।

3.    मौसम की विपरीत परिस्थितियों में भी वह अपनी फसल की रक्षा करता है।

4.    किसान वर्षभर फसल उगाकर समाज की आवश्यकताओं को पूरा करता है।

5.    उसकी मेहनत से हमें अनाज, फल और सब्जियाँ प्राप्त होती हैं।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    छात्र किसान के दैनिक जीवन और उसके कार्यों को समझते हैं।

2.    वे किसान की मेहनत और धैर्य को पहचानते हैं।

3.    छात्र फसलों की देखभाल और उनकी सुरक्षा के तरीकों को जानते हैं।

4.    वे किसानों के योगदान का सम्मान करते हैं।

5.    छात्र खेती और उससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को समझते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    कहानी और चर्चाकिसान के जीवन पर आधारित कहानी सुनाना और उस पर चर्चा कराना।

2.    चित्र अवलोकनकिसान के दैनिक जीवन को दर्शाने वाले चित्रों के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाना।

3.    भूमिका निभाना (Role Play)छात्र किसान की भूमिका निभाकर उसकी कठिनाइयों और कार्यों को महसूस करें।

4.    खेतों की यात्रायदि संभव हो तो छात्रों को खेतों में ले जाकर वास्तविक अनुभव कराना।

5.    प्रश्नोत्तर सत्रकिसान के जीवन से जुड़े प्रश्न पूछना और उत्तरों पर चर्चा करना।

6.    रचनात्मक लेखन – "अगर मैं किसान होता तो…" विषय पर छोटे लेख या कविता लिखवाना।

7.    गीत और कविताकिसान पर आधारित कविता गवाना और छात्रों से अपनी पसंदीदा पंक्ति साझा करने के लिए कहना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानफसल उत्पादन और कृषि की वैज्ञानिक पद्धतियाँ।

2.    गणितफसल की गिनती, वजन और मापन।

3.    पर्यावरण अध्ययनमिट्टी, जल और जलवायु का खेती पर प्रभाव।

4.    भाषा (हिंदी)किसान पर कविता लेखन और वाचन।

5.    चित्रकलाकिसान के जीवन से जुड़े चित्र बनाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.    मौखिक मूल्यांकन (Oral Assessment)

o   किसान के कार्यों और जीवनशैली से जुड़े प्रश्नों के उत्तर देना।

o   कविता का पाठ करना और उसमें प्रयुक्त विशेष शब्दों का अर्थ बताना।

o   "अगर मैं किसान होता तो…" विषय पर मौखिक विचार प्रस्तुत करना।

2.  लिखित मूल्यांकन (Written Assessment)

o   किसान के दैनिक जीवन पर संक्षिप्त निबंध या अनुच्छेद लिखना।

o   कविता में आए विशेष शब्दों के पर्यायवाची और विलोम शब्द लिखना।

o   खेतों में उगाई जाने वाली फसलों के नाम लिखना और उनके उपयोग बताना।

3.    व्यवहारात्मक मूल्यांकन (Behavioral Assessment)

o   छात्र अपने परिवार या आसपास के किसानों से बातचीत कर उनके अनुभव साझा करें।

o   कक्षा में समूह में मिलकर खेती से संबंधित पोस्टर या मॉडल बनाना।

o   एक पौधा लगाना और उसकी देखभाल का अनुभव कक्षा में साझा करना।

4.    सभी स्तरों के छात्रों के लिए उपयुक्त मूल्यांकन (Inclusive Assessment)

o   धीमी गति से सीखने वाले छात्रों के लिए दृश्य सामग्री और चित्रों का उपयोग।

o   मेधावी छात्रों को किसान पर एक छोटी कविता या कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित करना।

o   सभी छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार मौखिक, लिखित या व्यवहारिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर देना।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    पाठ्यपुस्तक और संदर्भ पुस्तकें

2.    किसान के जीवन पर आधारित वीडियो (ICT Resource)

3.    कृषि उपकरणों के चित्र और मॉडल

4.    कार्यपत्रक (Worksheets) और गतिविधियाँ

5.    कक्षा में चर्चा और प्रायोगिक गतिविधियाँ

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value Education / Vocational Skill)

1.    विश्लेषणात्मक सोचकिसान के परिश्रम और समाज में उसके योगदान को समझना।

2.    सहयोग और संवाद कौशलसमूह में विचार साझा करना।

3.    रचनात्मकताकिसान पर कविता और कहानी लिखना।

4.    पर्यावरणीय जागरूकताकृषि और प्रकृति का संरक्षण।

5.    सामाजिक जागरूकताकिसानों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    घर में छोटे पौधे उगाने और उनकी देखभाल करने का कार्य देना।

2.    किसान के जीवन से प्रेरणा लेकर मेहनत और धैर्य की सीख लेना।

3.    फसल उत्पादन की प्रक्रिया को समझकर अपनी खाद्य वस्तुओं की कीमत को पहचानना।

4.    परिवार और समाज में किसानों के योगदान पर चर्चा करना।

5.    स्थानीय किसानों से बातचीत कर उनकी कठिनाइयों और अनुभवों को जानना।


पाठ योजना

पाठ 17 - मूली

1. संकल्पना (Concept)

1.    इस पाठ में एक कहानी के माध्यम से सहयोग और सामूहिक प्रयास का महत्व समझाया गया है।

2.    पाठ में मूली के बढ़ने, उसे उखाड़ने और परिवार के सदस्यों के एकजुट प्रयास को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

3.    इसमें खेती, सब्जियों का महत्व और आपसी सहयोग की भावना को दर्शाया गया है।

4.    भाषा कौशल (पढ़ना, लिखना, बोलना, सुनना) को विकसित करने पर ध्यान दिया गया है।

5.    बच्चों को कहानी पढ़ने और उस पर चर्चा करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    छात्र कहानी को ध्यान से पढ़ते हैं और उसका अर्थ समझते हैं।

2.    वे कहानी में आए मुख्य पात्रों और घटनाओं की पहचान करते हैं।

3.    छात्र सहयोग और टीम वर्क के महत्व को समझते हैं और इसे अपने जीवन में लागू करते हैं।

4.    वे कहानी में प्रयुक्त नए शब्दों का अर्थ समझते और अपने वाक्यों में उनका उपयोग करते हैं।

5.    छात्र कहानी से प्रेरित होकर मौखिक और लिखित रूप में अपने विचार व्यक्त करते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    कहानी वाचनशिक्षक रोचक अंदाज में कहानी सुनाएंगे और छात्रों से प्रश्न पूछेंगे।

2.    भूमिका अभिनय (Role Play)छात्र विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाकर कहानी को प्रस्तुत करेंगे।

3.    चित्र चर्चामूली, खेत और पात्रों से संबंधित चित्र दिखाकर चर्चा कराई जाएगी।

4.    शब्दावली खेलकहानी में आए नए शब्दों को खेलों के माध्यम से समझाया जाएगा।

5.    समूह चर्चासहयोग और मेहनत के महत्व पर चर्चा होगी।

6.    रचनात्मक लेखन – "अगर मैं नानाजी की जगह होता..." जैसे विषयों पर लिखने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

7.    गतिविधियाँमूली और अन्य सब्जियों से जुड़े चार्ट बनाने या उनके उपयोग पर चर्चा कराई जाएगी।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञानपौधों के बढ़ने की प्रक्रिया और सब्जियों के पोषण महत्व पर चर्चा।

2.    गणितमूली की लंबाई मापने और अन्य सब्जियों की तुलना करने की गतिविधियाँ।

3.    सामाजिक विज्ञानखेती और किसानों के महत्व पर चर्चा।

4.    कलामूली और खेतों से संबंधित चित्र बनाना।

5.    सांस्कृतिक अध्ययनविभिन्न राज्यों में उगाई जाने वाली सब्जियों की जानकारी।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.    मौखिक मूल्यांकन

o   कहानी से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देना।

o   "अगर मूली न निकलती तो क्या होता?" पर चर्चा।

2.    लिखित मूल्यांकन

o   कहानी का संक्षिप्त सारांश लिखना।

o   "सब्जियों का महत्व" पर निबंध।

3.    व्यवहारात्मक मूल्यांकन

o   छात्र खेत या बगीचे में जाकर सब्जियों के बारे में जानकारी लें।

o   कक्षा में समूह में मिलकर खेती से संबंधित गतिविधियाँ करें।

4.    सभी स्तरों के छात्रों के लिए उपयुक्त मूल्यांकन

o   कमजोर छात्रों के लिए चित्र आधारित प्रश्न।

o   मेधावी छात्रों के लिए कहानी पर नाटक लिखने की गतिविधि।

 

6. संसाधन (Resources)

1.    ऑडियो-वीडियो सामग्रीमूली और खेती से जुड़ी शिक्षाप्रद वीडियो।

2.    चित्र और चार्टसब्जियों और खेती से संबंधित पोस्टर।

3.    कहानी पुस्तकेंबच्चों की अन्य रोचक कहानियाँ।

4.    स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टरकहानी को दृश्य रूप में दिखाने के लिए।

5.    इंटरनेट संसाधनखेती और सब्जियों से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    सहयोग और टीम वर्ककहानी के माध्यम से सहयोग की भावना विकसित करना।

2.    समस्या समाधान कौशल – "अगर मूली न निकलती तो क्या किया जाता?" जैसी गतिविधियों से।

3.    रचनात्मकताचित्रकारी, लेखन और नाटक के माध्यम से रचनात्मकता को बढ़ावा देना।

4.    संचार कौशलकहानी सुनाना और उस पर चर्चा करना।

5.    जीवन कौशलखेती, पौधों की देखभाल और भोजन के महत्व को समझाना।

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    छात्र खेत या बगीचे में जाकर मूली जैसी सब्जियों को उगाने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

2.    घर पर माता-पिता के साथ मिलकर मूली से व्यंजन बनाकर देख सकते हैं।

3.    किसानों के महत्व और उनके कार्यों की कठिनाइयों को समझने के लिए उनसे बातचीत कर सकते हैं।

4.    पौधों की देखभाल और उनके पोषण महत्व को समझकर स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

5.    कक्षा में "स्वस्थ आहार" पर चर्चा कराई जाएगी और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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पाठ योजना

पाठ 18  - बरसात और मेंढक

 

1. संकल्पना (Concept)

1.    बच्चों को पारस्परिक सहयोग और समस्या समाधान का महत्व सिखाना।

2.    जलचक्र की प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाना।

3.    पर्यावरण के संतुलन और वर्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना।

4.    जीव-जंतुओं के प्रति दया और संवेदनशीलता विकसित करना।

5.    भाषा कौशल को बढ़ावा देना, जैसे कहानी पढ़ना, समझना और अपनी बात कहना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

1.    छात्र वर्षा और जलचक्र की प्रक्रिया को समझते हैं।

2.    वे परोपकार, दया और सहयोग की भावना विकसित करते हैं।

3.    वे मेंढक, नदी, घास और वर्षा के बीच संबंध को पहचानते हैं।

4.    वे कहानी में आए नए शब्दों को समझकर सही उच्चारण करते हैं।

5.    वे कहानी को अपने शब्दों में दोहराते और चित्रों के माध्यम से उसका विस्तार करते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.    कहानी सुनाना: शिक्षक भाव-भंगिमा के साथ कहानी सुनाएँगे और बच्चों को ध्यान देने के लिए प्रेरित करेंगे।

2.    चित्र आधारित शिक्षण: कहानी में आए मेंढक, नदी, बादल आदि के चित्र दिखाकर उनके बारे में चर्चा करेंगे।

3.    भूमिका निभाना: बच्चों को कहानी के पात्रों की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेंगे।

4.    प्रश्नोत्तर विधि: कहानी से जुड़े प्रश्न पूछकर बच्चों की समझ का मूल्यांकन करेंगे।

5.    रचनात्मक लेखन: बच्चे कहानी का आगे का भाग लिखेंगे या चित्र बनाएँगे।

6.    खेल-खेल में सीखना: पानी से जुड़े विभिन्न प्रयोग जैसे जल का वाष्पीकरण दिखाना।

7.    ICT का उपयोग: वर्षा चक्र पर एनिमेटेड वीडियो दिखाना और बच्चों को डिजिटल गतिविधियों में शामिल करना।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.    विज्ञान: जलचक्र की प्रक्रिया और पर्यावरण के संतुलन की समझ।

2.    सामाजिक अध्ययन: जल संरक्षण और इसके महत्व की चर्चा।

3.    कला: मेंढक, बादल और वर्षा से संबंधित चित्रकारी।

4.    गणित: जल से संबंधित वस्तुओं की गिनती और माप।

5.    भाषा: कहानी लेखन, वाक्य निर्माण और वर्णमाला आधारित गतिविधियाँ।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.    मौखिक (Oral): कहानी का सारांश बच्चों से सुनना और उनसे प्रश्न पूछना।

2.    लिखित (Written): कहानी में आए नए शब्दों का प्रयोग कर वाक्य बनवाना।

3.    व्यवहारिक (Behavioral): समूह में काम करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का आकलन।

4.    रचनात्मक (Creative): कहानी को चित्रों में व्यक्त करना या उसमें नया मोड़ जोड़ना।

6. संसाधन (Resources)

1.    पाठ्यपुस्तक: हिंदी की "सारंगी" कक्षा 2 की पुस्तक।

2.    ICT साधन: वर्षा चक्र पर शैक्षिक वीडियो, प्रोजेक्टर, डिजिटल चित्र।

3.    फ्लैशकार्ड: जलचक्र से जुड़े विभिन्न तत्वों के चित्र।

4.    कार्यपत्रक: कहानी से जुड़े प्रश्न, वर्णमाला खेल और रचनात्मक लेखन कार्य।

5.    प्राकृतिक सामग्री: पानी, घास और मिट्टी का उपयोग कर बच्चों को गतिविधियों में संलग्न करना।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल

1.    समस्या समाधान कौशल: विभिन्न तत्वों के आपसी संबंध को समझना।

2.    नैतिक मूल्य: जीव-जंतुओं के प्रति दया और संवेदनशीलता विकसित करना।

3.    सहयोग और टीमवर्क: समूह में कार्य करने की प्रवृत्ति विकसित करना।

4.    आलोचनात्मक सोच: वर्षा और जल संरक्षण के महत्व को समझना।

5.    रचनात्मकता: कहानी विस्तार, चित्रकारी और लेखन में कौशल विकसित करना।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.    बच्चे वर्षा के महत्व को समझकर जल संरक्षण की आदत अपनाते हैं।

2.    वे पर्यावरण की देखभाल करने और पशु-पक्षियों के प्रति दयालु बनने की सीख लेते हैं।

3.    वे वर्षा के बाद प्रकृति में होने वाले बदलावों को पहचानते और उनके बारे में चर्चा करते हैं।

4.    वे अपनी कक्षा और घर में पानी का सही उपयोग करना सीखते हैं।

5.    वे समूह में कार्य करना और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना सीखते हैं।

 

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पाठ योजना

पाठ 19 - शेर और चूहे की दोस्ती

1.    संकल्पना (Concept)
यह पाठ शेर और चूहे की कहानी के माध्यम से मित्रता, सहयोग और आपसी सहायता का महत्व समझाता है। कहानी में शेर के जाल में फंसने के बाद चूहे की मदद से उसकी मुक्ति को दर्शाया गया है, जिससे बच्चों को यह सिखने को मिलता है कि हर किसी की मदद की ज़रूरत हो सकती है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।

 

2.  सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

  • छात्र कहानी को ध्यान से पढ़ते हैं और उसका सही अर्थ समझते हैं।
  • वे कहानी में आए मुख्य पात्रों (शेर और चूहे) की पहचान करते हैं।
  • छात्र सहयोग, मित्रता और मदद के महत्व को समझते हैं और उसे अपने जीवन में लागू करते हैं।
  • वे नए शब्दों का अर्थ समझते हैं और अपने वाक्यों में उनका प्रयोग करते हैं।
  • छात्र कहानी पर आधारित मौखिक और लिखित प्रश्नों का उत्तर देते हैं, और अपनी सोच साझा करते हैं।

 

3.  शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

  • कहानी वाचन (Story Reading): शिक्षक कहानी को रोचक ढंग से सुनाएंगे और बच्चों से कहानी पर प्रश्न पूछेंगे।
  • भूमिका अभिनय (Role Play): छात्र शेर और चूहे की भूमिका निभाएंगे और इस तरह से कहानी को जीवंत करेंगे।
  • चित्र चर्चा (Picture Discussion): शेर, चूहे और जाल से संबंधित चित्र दिखाकर बच्चों से चर्चा कराई जाएगी।
  • समूह चर्चा (Group Discussion): बच्चों को कहानी के संदेश पर विचार करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जैसे "क्या हम हमेशा दूसरों की मदद करते हैं?"
  • सृजनात्मक लेखन (Creative Writing): "अगर चूहा शेर की मदद नहीं करता तो क्या होता?" पर बच्चों को लिखने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
  • सुझाव आधारित गतिविधियाँ (Suggestion Based Activities): "क्या शेर और चूहे की मित्रता से हमें क्या सिखने को मिलता है?" पर समूह चर्चा।
  • कहानी से सीख (Lesson from the Story): बच्चों को यह समझाना कि हर किसी का योगदान महत्वपूर्ण होता है, चाहे वह बड़ा हो या छोटा।

 

4.  अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

  • विज्ञान (Science): जंगली जानवरों और उनके आवासों पर चर्चा।
  • सामाजिक विज्ञान (Social Science): मित्रता और सहयोग के सामाजिक मूल्य।
  • साहित्य (Literature): कहानी में प्रयुक्त विभिन्न शब्दों और उनके अर्थों पर ध्यान देना।
  • चित्रकला (Art): शेर और चूहे का चित्र बनाना।
  • जीवविज्ञान (Biology): चूहे और शेर की शारीरिक विशेषताओं पर चर्चा।

 

5.  मूल्यांकन (Assessment)

  • मौखिक मूल्यांकन (Oral Assessment): बच्चों से कहानी के बारे में सवाल पूछकर उनके समझ को परखना।
  • लिखित मूल्यांकन (Written Assessment): "कहानी का संक्षेप में वर्णन करें" या "आपके अनुसार, मदद क्यों ज़रूरी है?" जैसे सवालों पर लिखना।
  • व्यवहारात्मक मूल्यांकन (Behavioral Assessment): बच्चों को एक छोटे समूह में यह चर्चा करने के लिए कहना कि वे किसी को किस तरह मदद करेंगे, जैसे चूहा शेर की मदद करता है।
  • कमजोर छात्रों के लिए: चित्रों का उपयोग करके कहानी से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • मेधावी छात्रों के लिए: कहानी का नाटक लिखने या प्रस्तुति देने की गतिविधि।

 

6.  संसाधन (Resources)

  • ऑडियो-वीडियो सामग्री: शेर और चूहे की दोस्ती से संबंधित वीडियो क्लिप।
  • चित्र और चार्ट: शेर, चूहे और जाल के चित्रों का उपयोग।
  • कहानी पुस्तकें: अन्य मित्रता और सहयोग की कहानियाँ।
  • स्मार्ट बोर्ड / प्रोजेक्टर: कहानी को डिजिटल रूप में दिखाना और उसमें बच्चों की भागीदारी बढ़ाना।
  • इंटरनेट संसाधन: शेर और चूहे पर जानकारी प्राप्त करने के लिए शैक्षिक वेबसाइट्स।

 

7.  21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills)

  • सहयोग (Collaboration): कहानी के माध्यम से बच्चों को सहयोग और टीम वर्क के महत्व को सिखाना।
  • संचार कौशल (Communication Skills): बच्चों को अपनी राय साझा करने और दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करना।
  • समस्या समाधान कौशल (Problem Solving Skills): "अगर चूहा शेर की मदद नहीं करता तो क्या होता?" जैसे सवालों पर चर्चा करके समस्या हल करने के तरीके सिखाना।
  • रचनात्मकता (Creativity): बच्चों को अपनी कल्पना से कहानी के नए संस्करण बनाने के लिए प्रेरित करना।
  • जीवन कौशल (Life Skills): मदद करने की भावना को जीवन में लागू करना और साझा करना।

 

8.  विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

  • बच्चों को अपने दोस्तों या परिवार के साथ मिलकर किसी समस्या का समाधान ढूँढ़ने के लिए प्रेरित करना।
  • खेतों में काम करने वाले लोगों से मिलने या किसी नजदीकी चिड़ियाघर में जाकर जानवरों के बारे में अधिक जानने का अवसर प्रदान करना।
  • कक्षा में बच्चों को किसी संकट के दौरान एक-दूसरे की मदद करने के महत्व को समझाना।
  • बच्चों को यह समझाना कि वास्तविक जीवन में भी छोटी-मोटी मदद से बड़े बदलाव आ सकते हैं, जैसे चूहा शेर की मदद करता है।

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पाठ योजना

पाठ 20 -  आउट

1. संकल्पना (Concept):

1.    बच्चों को खेलों के विभिन्न प्रकारों का ज्ञान होगा।

2.    उन्हें विभिन्न खेलों में सामूहिक सहभागिता और अनुशासन का अनुभव होगा।

3.    खेलों में प्रयुक्त वस्तुओं (जैसे- गेंद, बैट, और अन्य उपकरण) का महत्व समझाया जाएगा।

4.    बच्चों को खेलों के दौरान प्रतिस्पर्धा और सहकारी भावना को समझने का अवसर मिलेगा।

5.    खेलों के माध्यम से शारीरिक विकास और मानसिक ताजगी की जानकारी दी जाएगी।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes):

1.    विद्यार्थी खेलों के नाम और उनकी विशेषताओं को पहचान सकेंगे।

2.    विद्यार्थी खेलों में भागीदारी करेंगे और अपने सहपाठियों के साथ मिलकर खेल खेलेंगे।

3.    विद्यार्थियों को खेलों से संबंधित शब्दावली और उनके सही उपयोग की समझ होगी।

4.    वे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने में सक्षम होंगे, जैसे "आउट!" या "बोल!"।

5.    विद्यार्थी शारीरिक गतिविधियों के महत्व को समझेंगे और नियमित रूप से खेल कूद में भाग लेने के लिए प्रेरित होंगे।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies):

1.    कहानी सुनाना: पाठ को समझाने के लिए बच्चों को खेलों पर आधारित कहानी सुनाएं। इससे उनका ध्यान आकर्षित होगा और उन्हें सीखने में मज़ा आएगा।

2.    समूह कार्य: छात्रों को छोटे समूहों में बांटकर खेलों के बारे में चर्चा करने और उन्हें प्रदर्शन करने का अवसर दें।

3.    चित्रकारी: बच्चों से खेलों के चित्र बनाने को कहें, ताकि वे दृश्यात्मक रूप से खेलों को समझ सकें।

4.    प्रश्न-उत्तर: बच्चों से खेलों के बारे में प्रश्न पूछें और उन्हें सही उत्तर देने के लिए प्रोत्साहित करें।

5.    कार्यशाला: खेल से जुड़े वस्त्रों और उपकरणों को लेकर बच्चों को कार्यशाला में भाग लेने का अवसर दें।

6.    खेल का प्रदर्शन: बच्चों को विभिन्न खेलों का प्रदर्शन दिखाएं और उसके नियम समझाएं।

7.    कक्षा की भागीदारी: बच्चों को उनके साथी के साथ खेल खेलते समय एक-दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित करें।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects):

1.    शारीरिक शिक्षा: खेलों का कक्षा में महत्वपूर्ण स्थान है, बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लाभ समझाएं।

2.    संगीत: खेल गीतों को कक्षा में गाने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे "छपन-छपाई" खेल गीत।

3.    गणित: खेलों में स्कोरिंग के सिद्धांतों और अंक गणना को समझाने के लिए गणित का उपयोग करें।

4.    भाषा: खेलों से संबंधित शब्दावली (जैसे आउट, बॉल, रन, स्कोर आदि) को बच्चों को सीखाने में भाषा का उपयोग करें।

5.    सामाजिक अध्ययन: विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों में खेले जाने वाले खेलों के बारे में जानकारी दें।

 

5. मूल्यांकन (Assessment):

  • मौखिक मूल्यांकन: बच्चों से खेलों के बारे में प्रश्न पूछें और उनके विचार जानने की कोशिश करें।
  • लिखित मूल्यांकन: बच्चों से खेलों के बारे में छोटे-छोटे सवालों के उत्तर लिखवाएं।
  • व्यवहारिक मूल्यांकन: खेल खेलते वक्त बच्चों का व्यवहार और सहभागिता देखिए। क्या वे टीमवर्क कर रहे हैं? क्या वे नियमों का पालन कर रहे हैं?
  • सभी स्तरों पर मूल्यांकन: बच्चों के खेल में भाग लेने की क्षमता और उनके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करें, छोटे बच्चों के लिए खेल का सरल रूप और बड़े बच्चों के लिए थोड़ा जटिल रूप हो सकता है।

 

6. संसाधन (Resources):

1.    आईसीटी उपकरण: स्मार्ट बोर्ड पर खेलों से संबंधित वीडियो दिखाएं और उनके बारे में चर्चा करें।

2.    चित्र और चित्रकारी: बच्चों को खेलों के चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित करें।

3.    खेल सामग्री: खेलों में उपयोग किए जाने वाले उपकरण (जैसे- बॉल, बैट, गद्दी) का उपयोग करें।

4.    ऑनलाइन संसाधन: बच्चों को ऑनलाइन खेलों के बारे में जानकारी देने के लिए शैक्षिक वेबसाइट्स और वीडियो का उपयोग करें।

5.    गाने और लोक गीत: कक्षा में लोक गीतों को गाने के लिए प्रेरित करें और बच्चों को संगीत के माध्यम से खेल का अनुभव दें।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill):

1.    टीमवर्क: खेलों के माध्यम से बच्चों में टीम भावना और सहयोग का विकास होगा।

2.    समय प्रबंधन: खेलों के दौरान समय का सही उपयोग करना सिखाएं।

3.    समस्याओं का समाधान: खेलों के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याओं को हल करने के लिए बच्चों को समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करें।

4.    संचार कौशल: खेलों में बातचीत और सामूहिक फैसले लेने के कौशल का विकास होगा।

5.    सकारात्मक सोच: खेलों में हार और जीत से सीखने की प्रक्रिया को बच्चों में बढ़ावा दें।

 

8. वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application):

1.    स्वस्थ जीवनशैली: बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।

2.    समाज में समावेशिता: खेलों के माध्यम से बच्चों को एकजुटता और सहयोग की भावना सिखाएं।

3.    मनोरंजन और आनंद: बच्चों को यह समझाएं कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एक साथ आनंद लेने का तरीका भी है।

4.    समाजिक उत्थान: खेलों के माध्यम से बच्चों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने का अवसर मिलेगा।

5.    मानवाधिकार: खेलों के माध्यम से बच्चों को समानता, निष्पक्षता, और एकजुटता के सिद्धांतों से परिचित कराएं।

 

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पाठ योजना

पाठ 21 -  छुपन - छुपाई

1.  संकल्पना (Concept)

o   इस पाठ में बच्चों के खेलों के माध्यम से दोस्ती, सहयोग और आनंद की भावना को समझाने का प्रयास किया गया है। कहानी में जीत और नाड जया के खेल और छुपने की प्रक्रिया को दर्शाया गया है।

o   पाठ का उद्देश्य बच्चों में खेलों के प्रति रुचि विकसित करना है, खासकर  छुपन - छुपाई  जैसे खेलों के माध्यम से।

o   बच्चों को यह समझाने का प्रयास किया जाएगा कि खेलों से न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि मानसिक विकास भी होता है।

o   पाठ में बच्चों को एकजुट होकर खेल खेलने की प्रेरणा दी जाएगी, जो टीम वर्क को बढ़ावा देता है।

o   खेलों में जीत-हार का सामना करना और उसका सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना भी बच्चों को सिखाया जाएगा।

 

2.  सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

o   छात्र  छुपन - छुपाई  खेल के नियमों को समझते हैं और उन्हें पालन करते हैं।

o   वे कहानी में आये पात्रों के कार्यों को पहचानते हैं और समझते हैं कि छुपना और ढूंढना किस प्रकार का खेल है।

o   छात्र खेलों में भाग लेते समय आपसी सहयोग का महत्व समझते हैं।

o   वे  छुपन - छुपाई  के खेल के दौरान दोस्ती, टीम वर्क और अनुशासन की भावना को महसूस करते हैं।

o   छात्र इस खेल के माध्यम से अपनी मानसिक और शारीरिक क्षमता को विकसित करने की कोशिश करते हैं।

 

3.  शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.              कहानी वाचनशिक्षक कहानी को एक रोचक तरीके से सुनाएंगे और छात्रों से प्रश्न पूछकर उनकी समझ बढ़ाएंगे।

2.              चित्र और दृश्य सामग्रीछात्रों को  छुपन - छुपाई  खेल से संबंधित चित्र दिखाए जाएंगे और उनसे चर्चा की जाएगी।

3.              भूमिका अभिनय (Role Play)छात्र अपनी भूमिका निभाकर खेल के विभिन्न पहलुओं को समझेंगे, जैसे छुपना और ढूंढना।

4.              समूह कार्यछात्र मिलकर खेल खेलेंगे और सहयोग का महत्व समझेंगे।

5.              वर्ग चर्चाखेल में हार और जीत के महत्व पर चर्चा की जाएगी, ताकि बच्चों को एक सकारात्मक दृष्टिकोण मिले।

6.              प्रश्नोत्तरीछात्रों से खेल से जुड़े सवाल पूछकर उनकी समझ का मूल्यांकन किया जाएगा।

7.              रचनात्मक लेखनछात्रों को अपनी कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि वे अपने अनुभवों को साझा कर सकें।

 

4.  अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.              विज्ञानखेलों के दौरान शारीरिक क्रियाओं का अध्ययन, जैसे दौड़ना, कूदना और शरीर के विभिन्न अंगों का कार्य।

2.              गणितसमय का मापन, जैसे खेल के दौरान समय सीमा निर्धारित करना या जीत के समय की गणना करना।

3.              सामाजिक अध्ययनखेलों के माध्यम से समाज में आपसी सहयोग और सामूहिक प्रयास की महत्ता को समझना।

4.              भाषाबच्चों को अपनी भाषा में कहानी लिखने और सुनाने के लिए प्रेरित करना।

5.              कलाबच्चों को खेलों से संबंधित चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित करना, जैसे  छुपन - छुपाई  के दृश्य।

 

5.  मूल्यांकन (Assessment)

1.              मौखिक मूल्यांकनछात्रों से  छुपन - छुपाई  खेल और उसकी घटनाओं पर प्रश्न पूछे जाएंगे। उदाहरण: "जीत ने कितने स्थानों पर ढूंढा?" या "आप घर में कहाँ-कहाँ छुप सकते हैं?"

2.              लिखित मूल्यांकनछात्रों से खेल के नियम और कहानी का सारांश लिखवाया जाएगा।

3.              व्यवहारात्मक मूल्यांकनबच्चों से खेल खेलवाकर यह देखा जाएगा कि वे किस प्रकार सहयोग करते हैं और खेल में किस तरह भाग लेते हैं।

4.              समूह मूल्यांकनसमूहों में बच्चों को खेल खेलने के लिए कहा जाएगा और उनका सहयोग और टीम वर्क पर आधारित मूल्यांकन किया जाएगा।

5.              प्रेरक मूल्यांकनबच्चों से "क्या होता अगर..." जैसे प्रश्न पूछे जाएंगे, जैसे "अगर खेल में चोट लग जाए तो क्या करेंगे?"

 

6.  संसाधन (Resources)

1.              ऑडियो-वीडियो सामग्री छुपन - छुपाई  और अन्य खेलों से संबंधित वीडियो, ताकि बच्चों को खेलों की सटीक जानकारी मिले।

2.              चित्र और चार्टखेलों से संबंधित चित्र और पोस्टर, जैसे  छुपन - छुपाई  खेल की विभिन्न स्थिति की चित्रकारी।

3.              स्मार्ट बोर्डखेलों के दृश्य और उनके नियम स्मार्ट बोर्ड पर दिखाए जाएंगे।

4.              इंटरनेट संसाधनखेलों की नई जानकारी और शारीरिक लाभ से संबंधित ऑनलाइन लेख और वीडियो।

5.              प्रिंटेड मटेरियलखेलों से संबंधित कार्यपत्रिकाएँ, जिसमें बच्चों को खेलों के नाम और उनके नियमों से परिचित कराया जाएगा।

 

7.  21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill)

1.              सहयोग और टीम वर्कखेल के दौरान बच्चों में सहयोग की भावना विकसित करना।

2.              समस्या समाधान कौशल – "अगर खेल में चोट लग जाए तो क्या करना चाहिए?" इस तरह के सवालों से बच्चों में समस्याओं का समाधान खोजने की क्षमता बढ़ाना।

3.              रचनात्मकताखेलों से संबंधित चित्रांकन और कहानी लेखन के माध्यम से बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देना।

4.              संचार कौशलबच्चों से खेलों पर बातचीत कराना और उन्हें अपनी बात साझा करने का अवसर देना।

5.              जीवन कौशलबच्चों को खेलों के माध्यम से शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करना।

 

8.  विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.              खेलों का अभ्यासबच्चों को घर पर जाकर  छुपन - छुपाई  खेल का अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

2.              सामाजिकता और सहयोगबच्चों को यह समझाया जाएगा कि खेलों से दोस्ती और सामूहिक प्रयास की भावना मजबूत होती है।

3.              स्वास्थ्यखेलों के माध्यम से बच्चों को स्वस्थ जीवन जीने के तरीके समझाए जाएंगे।

4.              समान अवसरकक्षा में सभी बच्चों को खेलों में भाग लेने के समान अवसर दिए जाएंगे।

5.              नौकरी कौशलबच्चों को खेलों के माध्यम से नेतृत्व और जिम्मेदारी लेने का अनुभव मिलेगा।

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पाठ योजना

पाठ 22 - हाथी साइकल चला रहा था

1. संकल्पना (Concept)

o   इस पाठ में एक हाथी और चींटी की कहानी है, जिसमें हाथी साइकल चला रहा है और चींटी उसकी मदद करती है। यह कहानी बच्चों को सहयोग, मित्रता, और अपनी शक्ति को समझने के लिए प्रेरित करती है।

o   बच्चों को यह समझाया जाएगा कि कभी-कभी हमें अपने कार्यों के लिए दूसरों की मदद की आवश्यकता होती है।

o   यह पाठ जीवन में सहयोग की महत्ता और कठिनाइयों से निपटने के तरीके को दिखाता है।

o   बच्चे यह भी समझेंगे कि हर किसी की अपनी सीमाएँ होती हैं और उन्हें अपनी क्षमताओं का सम्मान करना चाहिए।

o   पाठ का उद्देश्य बच्चों को अपनी कल्पना का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है, ताकि वे अपनी कहानियों को लिख सकें और व्यक्त कर सकें।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

o   छात्र कहानी को समझते हैं और कहानी के पात्रों की भूमिका और कार्यों को पहचानते हैं।

o   छात्र यह समझते हैं कि कभी-कभी हमें अपनी सीमाओं को स्वीकार करना चाहिए और दूसरों की मदद लेनी चाहिए।

o   वे यह जानते हैं कि कोई भी कार्य अकेले नहीं किया जा सकता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।

o   छात्र इस कहानी के माध्यम से अपनी कल्पना का उपयोग कर सकते हैं और अपनी कहानियाँ लिखने में सक्षम होते हैं।

o   वे खेलों और गतिविधियों के दौरान एक-दूसरे से सहयोग करना सीखते हैं और एक साथ काम करने का महत्व समझते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.              कहानी वाचनशिक्षक कहानी को बच्चे की रुचि के अनुसार रोचक तरीके से पढ़ेंगे और संवाद पर ध्यान देंगे।

2.              चित्रण और दृश्य सामग्रीबच्चों को हाथी और चींटी की तस्वीरें दिखाकर कहानी के पात्रों को स्पष्ट करेंगे।

3.              भूमिका अभिनय (Role Play)बच्चे हाथी और चींटी की भूमिकाएँ निभाकर कहानी को जीवंत करेंगे और सहयोग का अभ्यास करेंगे।

4.              समूह चर्चाबच्चों को कहानी के बारे में चर्चा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि वे अपनी समझ और विचार साझा कर सकें।

5.              रचनात्मक लेखनबच्चों को कहानी के आधार पर अपनी रचनात्मक कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

6.              क्विज़ और प्रश्नोत्तरीबच्चों से प्रश्न पूछकर उनकी कहानी समझने की क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा।

7.              वर्ग चर्चा और संज्ञानात्मक कार्यबच्चों को यह समझाने के लिए समूहों में चर्चा करवाई जाएगी कि वे अपनी समस्याओं का समाधान कैसे कर सकते हैं और दूसरों से मदद कैसे ले सकते हैं।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.              विज्ञानहाथी और चींटी के शरीर के आकार और उनकी विशेषताओं का अध्ययन, यह समझने के लिए कि दोनों के लिए एक ही कार्य कैसे मुश्किल हो सकता है।

2.              गणितकहानी में साइकल का उपयोग करते हुए दूरी, गति, और समय पर चर्चा की जा सकती है।

3.              सामाजिक अध्ययनबच्चों को यह समझाया जाएगा कि जीवन में सहयोग और सहकार्य महत्वपूर्ण होते हैं।

4.              भाषाबच्चों से कहानी को अपनी शब्दों में लिखवाया जाएगा, ताकि वे शब्दावली और संप्रेषण कौशल विकसित कर सकें।

5.              कलाबच्चों को हाथी और चींटी के चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा और उन्हें अपनी कला के माध्यम से कहानी को व्यक्त करने का अवसर मिलेगा।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.              मौखिक मूल्यांकनबच्चों से कहानी के पात्रों और उनके कार्यों के बारे में प्रश्न पूछे जाएंगे। जैसे "हाथी ने साइकल क्यों नहीं चला पाया?"

2.              लिखित मूल्यांकनबच्चों से कहानी के महत्वपूर्ण बिंदुओं को लिखने को कहा जाएगा।

3.              व्यवहारात्मक मूल्यांकनबच्चों को रोल-प्ले करने के लिए कहा जाएगा और उनके सहयोग, मदद और टीम वर्क को आंका जाएगा।

4.              समूह मूल्यांकनछात्रों से समूह में कार्य करवाकर उनके बीच सहयोग और काम की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाएगा।

5.              रचनात्मक मूल्यांकनबच्चों से अपनी कल्पना के आधार पर एक नई कहानी लिखवानी जाएगी, जैसे "अगर चींटी और हाथी को एक नई समस्या का सामना करना पड़े, तो वे क्या करेंगे?"

 

6. संसाधन (Resources)

1.              ऑडियो-वीडियो सामग्रीकहानी से संबंधित वीडियो और ऑडियो सामग्री जो बच्चों को कहानी को समझने में मदद करेगी।

2.              स्मार्ट बोर्डबच्चों के सामने दृश्य और चित्र दिखाए जाएंगे ताकि वे कहानी के पात्रों को बेहतर समझ सकें।

3.              इंटरनेट संसाधनहाथी और चींटी से संबंधित शैक्षिक वीडियो और लेख ऑनलाइन दिखाए जाएंगे।

4.              प्रिंटेड मटेरियलबच्चों को चित्र और कहानी के साथ संबंधित कार्यपत्रिकाएँ दी जाएंगी।

5.              ऑनलाइन क्वीज़ और टेस्टबच्चों को कहानी पर आधारित ऑनलाइन क्वीज़ का आयोजन किया जाएगा।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill)

1.              सहयोग और टीम वर्कबच्चों को एक-दूसरे की मदद करने की आदत डाली जाएगी ताकि वे टीम के रूप में काम कर सकें।

2.              समस्या समाधान कौशलकहानी में आने वाली समस्या का समाधान बच्चों से पूछकर उनकी समस्या समाधान क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा।

3.              संचार कौशलबच्चों को अपनी राय और विचार साझा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि उनका संचार कौशल मजबूत हो।

4.              रचनात्मकताबच्चों को अपनी कल्पनाओं को कहानी में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

5.              जीवन कौशलबच्चों को यह समझने में मदद मिलेगी कि जीवन में कभी-कभी हमें दूसरों से मदद लेने की आवश्यकता होती है।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.              सहयोग का अभ्यासबच्चों को घर पर परिवार के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा जाएगा।

2.              समस्या समाधानबच्चों को यह सिखाया जाएगा कि वे जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना कैसे कर सकते हैं और सहयोग से उन्हें हल कर सकते हैं।

3.              सुरक्षाबच्चों को यह बताया जाएगा कि किस प्रकार हमें अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

4.              सामाजिक जिम्मेदारीबच्चों को यह समझाया जाएगा कि हमें अपने समाज में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

5.              मूल्यबच्चों को यह सिखाया जाएगा कि एक मजबूत समुदाय में एक-दूसरे का सहयोग महत्वपूर्ण होता है।

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पाठ योजना

पाठ 23 - चार दिशाएँ

1.    संकल्पना (Concept)

o   इस पाठ में चार दिशाओं का परिचय दिया गया है – उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम। इन दिशाओं की पहचान और महत्व को समझाना इस पाठ का उद्देश्य है।

o   छात्रों को यह समझने में मदद करना कि चारों दिशाएँ हमें हमारे चारों ओर के स्थानों और स्थानों का मार्गदर्शन करने में कैसे मदद करती हैं।

o   दिशाओं के बारे में बुनियादी जानकारी देना, जैसे कि सूरज उगने का स्थान, और इन दिशाओं के प्रमुख नाम और उनके बीच के रिश्ते।

o   बच्चों को यह सिखाना कि चार दिशाओं का उपयोग हम अपने जीवन में स्थानों की पहचान और यात्रा के लिए करते हैं।

o   छात्रों को यह समझाना कि चार दिशाएँ हमारे पर्यावरण और समय के परिवर्तन के हिसाब से बदलती हैं, जैसे कि सूरज का उगना और अस्त होना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes)

o   छात्र चारों दिशाओं को पहचानते हैं और उनका उपयोग विभिन्न स्थानों को पहचानने के लिए करते हैं।

o   वे जानते हैं कि सूरज पूर्व से उगता है और पश्चिम में अस्त होता है।

o   वे यह समझते हैं कि दिशाएँ कैसे उनके आस-पास के स्थानों की दिशा और स्थान निर्धारित करने में मदद करती हैं।

o   बच्चे चारों दिशाओं का उपयोग अपने परिवेश और आसपास की वस्तुओं की पहचान में करते हैं।

o   वे यह समझते हैं कि चार दिशाओं का ज्ञान जीवन में हमें यात्रा, दिशा-निर्देश और विभिन्न कार्यों में मदद करता है।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies)

1.              चित्रणबच्चों को चार दिशाओं के साथ चित्र दिखाए जाएंगे, जैसे कि सूरज उगता हुआ और अस्त होता हुआ, ताकि वे दिशा को समझ सकें।

2.              प्रश्नोत्तरीबच्चों से सवाल किए जाएंगे, जैसे "आपका घर किस दिशा में है?" ताकि वे अपनी समझ का परीक्षण कर सकें।

3.              समूह कार्यबच्चों को चार दिशाओं को पहचानने के लिए समूहों में बाँटा जाएगा और उन्हें अपने आस-पास के दिशा-बद्ध स्थानों को पहचानने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

4.              रचनात्मक गतिविधियाँबच्चों से चार दिशाओं के चित्र बनाने के लिए कहा जाएगा, जैसे उत्तर, दक्षिण, पश्चिम, और पूर्व के प्रतीक।

5.              भौतिक क्रियाएँबच्चों को दिशा समझाने के लिए आंतरिक खेल या गतिविधियाँ करवाई जाएंगी, जैसे बच्चे एक स्थान पर खड़े होकर सही दिशा पहचानें।

6.              संसाधनों का उपयोगस्मार्ट बोर्ड और अन्य विजुअल सामग्री का उपयोग किया जाएगा ताकि बच्चों को दिशा को स्पष्ट रूप से दिखाया जा सके।

7.              साक्षात्कारबच्चों से उनके परिवेश के बारे में पूछताछ की जाएगी, जैसे वे किस दिशा में घर से स्कूल जाते हैं, जिससे वे अपनी दिशा पहचानने में मदद करेंगे।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects)

1.              विज्ञानदिशाओं का महत्व और सूर्य का उगना तथा अस्त होना, यह बच्चों को पृथ्वी के घूमने के बारे में समझाता है।

2.              गणितबच्चों को दिशा और स्थान का गणना में उपयोग करने के लिए निर्देशित किया जाएगा, जैसे कि गणना द्वारा दिशा की माप करना।

3.              भूगोलबच्चों को मानचित्र के माध्यम से दिशाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिससे वे सही दिशा की पहचान कर सकें।

4.              सामाजिक अध्ययनदिशाएँ और उनका महत्व समुदायों और समाज में स्थानों की पहचान के लिए समझाया जाएगा।

5.              कलाबच्चों को चार दिशाओं के आधार पर चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जैसे मानचित्र पर दिशाएँ दिखाना।

 

5. मूल्यांकन (Assessment)

1.              मौखिक मूल्यांकनबच्चों से दिशाओं के बारे में मौखिक प्रश्न पूछे जाएंगे, जैसे "दक्षिण में कौन सा देश है?"

2.              लिखित मूल्यांकनबच्चों से एक नक्शे पर चार दिशाओं के नाम भरवाए जाएंगे।

3.              व्यवहारात्मक मूल्यांकनबच्चों से कहा जाएगा कि वे अपने आस-पास की दिशाओं का सही अनुमान लगाएं और दिखाएंगे कि वे किस दिशा में हैं।

4.              समूह मूल्यांकनबच्चों को एक टीम में काम करने के लिए कहा जाएगा, जैसे उन्हें चारों दिशाओं के आधार पर एक नक्शा बनाना होगा।

5.              रचनात्मक मूल्यांकनबच्चों को कहानी के आधार पर दिशा संबंधित चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जैसे "सूरज उगते समय आप कहां होते हैं?"

 

6. संसाधन (Resources)

1.              ऑनलाइन वीडियोबच्चों को सूरज के उगने और अस्त होने की प्रक्रिया दिखाने के लिए वीडियो का उपयोग किया जाएगा।

2.              स्मार्ट बोर्डस्मार्ट बोर्ड पर चार दिशाओं को दिखाते हुए, बच्चों को समझाया जाएगा कि वे उन्हें अपने आस-पास कैसे पहचान सकते हैं।

3.              ऑनलाइन मैप्सबच्चों को ऑनलाइन नक्शे पर दिशाएँ दिखाने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाएगा।

4.              इंटरनेट आधारित संसाधनचार दिशाओं के बारे में जानकारी देने वाले शैक्षिक ऐप्स और वेबसाइट्स का उपयोग किया जाएगा।

5.              प्रिंटेड कार्यपत्रिकाबच्चों को दिशाओं की पहचान पर आधारित कार्यपत्रिका दी जाएगी।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill)

1.              संचार कौशलबच्चों को दिशा संबंधित जानकारी को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

2.              सामाजिक कौशलसमूह कार्य के माध्यम से बच्चों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की आदत डाली जाएगी।

3.              समस्या समाधान कौशलबच्चों को यह सिखाया जाएगा कि दिशाओं की पहचान में कैसे सही निर्णय लिया जा सकता है।

4.              रचनात्मकताबच्चों को चार दिशाओं के चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।

5.              जीवन कौशलबच्चों को यह समझाया जाएगा कि दिशा की पहचान जीवन में यात्रा और अन्य कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application)

1.              निर्देशों का पालनबच्चों को अपने घर के आसपास दिशाओं के बारे में सोचने के लिए कहा जाएगा और उनसे यह पूछेंगे कि वे किस दिशा में जा रहे हैं।

2.              यात्रा के दौरान दिशा का उपयोगबच्चों को यह समझाने के लिए कहा जाएगा कि यात्रा के दौरान किस दिशा का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।

3.              जीवन में दिशा की आवश्यकताबच्चों को यह बताया जाएगा कि दिशाओं का ज्ञान हमें अन्य कार्यों जैसे कि किसी स्थान पर जाना, किसी व्यक्ति से मिलना आदि में मदद करता है।

4.              संवेदनशीलता का विकासबच्चों को यह सिखाया जाएगा कि हमें अपने आसपास की दिशाओं और स्थानों के बारे में हमेशा जागरूक रहना चाहिए।

5.              आधुनिक तकनीकी का उपयोगबच्चों को GPS और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके दिशा पहचानने की प्रक्रिया समझाई जाएगी।

 

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पाठ योजना

पाठ 24 -  "चंदा मामा"

 

1. संकल्पना (Concept):

1.    छात्रों को चाँद और आकाश के बारे में ज्ञान देना।

2.    बच्चों को " चंदा मामा" नामक कविता के माध्यम से कल्पना और सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करना।

3.    बच्चों को चाँद के आकार, उसकी उपस्थिति, और उसके आस-पास के वातावरण के बारे में समझाना।

4.    कविता के माध्यम से बच्चों को रचनात्मक लेखन और चित्रकला के अभ्यास के लिए प्रेरित करना।

5.    बच्चों में चाँद और रात के आसमान से जुड़ी भावनाओं और विचारों को समझने का अवसर देना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes):

1.    बच्चे कविता की समझ को बेहतर ढंग से व्यक्त कर सकते हैं।

2.    बच्चे चाँद की उपस्थिति को समझकर उसे अपनी कलाओं और लेखन में शामिल कर सकते हैं।

3.    छात्र चाँद और रात के आसमान के बारे में पूछे गए सवालों का सही उत्तर दे सकते हैं।

4.    बच्चे अपने अनुभव और विचारों को कविता और चित्र के माध्यम से साझा कर सकते हैं।

5.    छात्र अक्षरों के क्रम को बदलकर नए शब्दों की पहचान कर सकते हैं और उनका उपयोग कर सकते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies):

1.    समूह चर्चा: बच्चों को कविता के बारे में विचार करने के लिए समूह में विभाजित करें, जिससे वे विचारों को साझा कर सकें और अधिक सीख सकें।

2.    चित्रकला गतिविधि: बच्चों को चाँद की चित्रकारी करने के लिए प्रेरित करें, जिससे वे अपनी कल्पना को चित्रों के माध्यम से व्यक्त कर सकें।

3.    शब्द निर्माण खेल: अक्षरों का क्रम बदलकर नए शब्द बनाने के लिए बच्चों को एक खेल के रूप में प्रेरित करें।

4.    रचनात्मक लेखन: बच्चों से कहानियाँ लिखवाएं जो चाँद या आकाश पर आधारित हों।

5.    सुनने और बोलने का अभ्यास: बच्चों को कविता सुनाने और फिर उसे पुनः अपनी शब्दों में सुनाने के लिए प्रेरित करें।

6.    शब्दकोष अभ्यास: बच्चों को अक्षरों को सही क्रम में रखने का अभ्यास करने के लिए शब्दकोष से नए शब्दों का अभ्यास कराएं।

7.    आधुनिक उपकरणों का उपयोग: ICT का उपयोग करके बच्चों को चाँद और रात के आकाश की वीडियो या इमेज दिखाएं।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects):

1.    विज्ञान: चाँद के आकार में होने वाले परिवर्तनों पर चर्चा करें, जैसे चाँद का बढ़ना और घटना।

2.    गणित: बच्चों को चाँद की विभिन्न स्थितियों के बारे में गणितीय अंदाजे और कोणों के बारे में समझाने के लिए कहा जा सकता है।

3.    सामाजिक अध्ययन: रात और दिन के चक्र के बारे में चर्चा करें, जैसे चाँद की स्थिति और उसका प्रभाव दिन और रात पर।

4.    कला: चाँद के बारे में चित्रकला और शिल्प कार्यों के जरिए बच्चों की कल्पनाशक्ति को प्रोत्साहित करें।

5.    संगीत: चाँद से संबंधित गीतों और रचनाओं का संगीत के माध्यम से अध्ययन करें।

 

5. मूल्यांकन (Assessment):

1.    मौखिक मूल्यांकन: बच्चों से कविता की समझ और उसके भावों के बारे में प्रश्न पूछें।

2.    लिखित मूल्यांकन: बच्चों को एक छोटी रचनात्मक कहानी लिखने के लिए कहें जिसमें चाँद और रात का वर्णन हो।

3.    व्यवहारिक मूल्यांकन: बच्चों के चित्रकला और शब्द निर्माण कार्य को ध्यान से देखें और उनकी रचनात्मकता की सराहना करें।

4.    सार्वजनिक प्रस्तुति: बच्चों को कविता या कहानी का सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने का अवसर दें, जिससे उनकी आत्मविश्वास और प्रस्तुति कौशल का मूल्यांकन किया जा सके।

5.    साक्षात्कार: बच्चों से व्यक्तिगत साक्षात्कार लें, जिसमें वे चाँद के बारे में अपनी जानकारी और विचारों को साझा कर सकें।

 

6. संसाधन (Resources):

1.    ICT: चाँद और रात के आकाश से संबंधित वीडियो और इमेज का प्रयोग, जिससे बच्चों को दृश्यात्मक अनुभव हो सके।

2.    चित्रकला सामग्री: रंगीन पेंसिल, क्रेयोन, पेंट्स आदि का उपयोग बच्चों को चाँद की चित्रकारी करने के लिए प्रेरित करने के लिए करें।

3.    कविता पुस्तकें: चाँद और रात से संबंधित अन्य कविताओं की पुस्तकें बच्चों को पढ़ने के लिए दें।

4.    संगीत व उपकरण: चाँद पर आधारित गीतों का उपयोग करें और बच्चों को संगीत में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।

5.    कंप्यूटर और प्रिंटर: बच्चों द्वारा बनाई गई कला और लेखन कार्यों को छापने और प्रदर्शित करने के लिए।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill):

1.    सृजनात्मकता और नवाचार: बच्चों को रचनात्मक रूप से सोचने और अपनी कलाओं के माध्यम से विचार व्यक्त करने का अवसर दें।

2.    संचार कौशल: बच्चों को मौखिक और लिखित रूप में स्पष्ट रूप से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता बढ़ाएं।

3.    सहकार्य और टीमवर्क: समूह चर्चाओं और चित्रकला कार्यों के माध्यम से बच्चों में सहयोग और टीमवर्क की भावना को प्रोत्साहित करें।

4.    संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग: ICT उपकरणों का उपयोग करके बच्चों को डिजिटल माध्यमों के साथ जुड़ने की आदत डालें।

5.    समस्या सुलझाने की क्षमता: बच्चों को अपने विचारों को साझा करने और समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे शब्दों के संयोजन के दौरान।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application):

1.    न्यूनतम परिश्रम में चाँद का अवलोकन: बच्चों को रात में चाँद का अवलोकन करने और उसकी स्थिति की पहचान करने के लिए प्रेरित करें।

2.    चाँद और अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना: बच्चों को चाँद के आकार में बदलाव, ग्रहों के बारे में जानने और इसका अवलोकन करने के लिए कहें।

3.    प्राकृतिक घटनाओं की समझ: बच्चों को रात के आकाश में चाँद, सितारे और अन्य आकाशीय पिंडों का अवलोकन करने के लिए प्रोत्साहित करें।

4.    सामाजिक कार्यों में भागीदारी: चाँद से संबंधित चित्र और कहानियाँ बनाने और प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करें, जिससे बच्चे अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें।

5.    विज्ञान की समझ: बच्चों को चाँद और आकाश के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी जानकारी देने के लिए प्रेरित करें।

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पाठ योजना

पाठ 25 - "गिरे ताल में चंदा मामा"

 

1. संकल्पना (Concept):

1.    बच्चों को कविता के माध्यम से चाँद के बारे में जानकारी देना और उसके रूप-रंग, आकार के बारे में विचार करना।

2.    "अचंभा" शब्द का अर्थ समझाना और इसका सही प्रयोग बच्चों को सिखाना।

3.    बच्चों को काव्य रचनाओं के माध्यम से अभिव्यक्ति और कल्पना शक्ति को बढ़ावा देना।

4.    कविता के भावार्थ और रचनात्मकता का विकास करना, जिससे बच्चे अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त कर सकें।

5.    "चंदा मामा" के संदर्भ में बच्चों को काव्य रूपों और छंदों का परिचय देना।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes):

1.    बच्चे कविता के अर्थ को समझ सकते हैं और उसका विवेचन कर सकते हैं।

2.    बच्चे "अचंभा" शब्द का सही प्रयोग कर सकते हैं और उसे अपने वाक्यों में शामिल कर सकते हैं।

3.    बच्चे कविता के पात्रों (जैसे चाँद मामा) के बारे में सोच सकते हैं और उनकी जगह अन्य चीजें रखकर कविता को पुनः पढ़ सकते हैं।

4.    बच्चे "चाँद की रोटी" और मछली के संदर्भ में अपने विचारों को साझा कर सकते हैं।

5.    बच्चे काव्य रचनाओं की सहायता से कल्पना शक्ति का विकास कर सकते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies):

1.    सक्रिय चर्चा: कविता के पढ़ने के बाद बच्चों से काव्य के विषय पर चर्चा करें, जैसे "अचंभा" शब्द का अर्थ और इसका उपयोग।

2.    चित्रकला कार्य: बच्चों को चाँद और मछली की चित्रकारी करने के लिए कहें ताकि वे कविता को दृश्य रूप में देख सकें।

3.    काव्य रचनात्मकता: बच्चों से कहें कि वे कविता के पात्रों को बदलकर नई कविता बनाएं, जैसे चाँद मामा के स्थान पर सूरज मामा को रखें।

4.    समूह कार्य: बच्चों को छोटे समूहों में विभाजित करें और कविता पर आधारित एक कहानी बनाने के लिए प्रेरित करें।

5.    रचनात्मक लेखन: बच्चों को "चाँद की रोटी" और मछली के विषय पर एक छोटी कहानी लिखने के लिए कहें।

6.    स्मृति अभ्यास: बच्चों को कविता को दोहराने के लिए कहें और प्रत्येक बच्चे से कविता के विभिन्न हिस्सों को याद करने के लिए कहें।

7.    आईसीटी का प्रयोग: बच्चों को इंटरनेट पर चाँद और मछली से संबंधित चित्र दिखाकर कविता का दृश्य रूप प्रस्तुत करें।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects):

1.    विज्ञान: चाँद के आकार और उसके विभिन्न चरणों के बारे में चर्चा करें, जैसे वर्धमान और क्षय होते चाँद।

2.    गणित: बच्चों को चाँद के आकार में होने वाले परिवर्तन को गणितीय तरीके से समझाने के लिए कहें, जैसे आकार और अनुपात का अध्ययन।

3.    भूगोल: चाँद के आस-पास के आकाशीय पिंडों और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी दें।

4.    कला: चाँद और मछली के विषय पर चित्रकला और शिल्प कार्य कराएं, जिससे बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा मिले।

5.    संगीत: बच्चों से चाँद के बारे में कुछ गीत गवाने के लिए कहें, जैसे "चाँद तारा, सूरज चाँद," और संगीत के माध्यम से कविता के भावों को समझाएं।

 

5. मूल्यांकन (Assessment):

1.    मौखिक मूल्यांकन: बच्चों से कविता के बारे में पूछें और यह जानने की कोशिश करें कि वे कविता के भावार्थ को समझ पाते हैं या नहीं।

2.    लिखित मूल्यांकन: बच्चों को "अचंभा" शब्द का सही प्रयोग करके एक वाक्य लिखने के लिए कहें।

3.    व्यवहारिक मूल्यांकन: बच्चों से चित्रकला कार्य पर आधारित प्रश्न पूछें, जैसे कि चाँद और मछली को चित्रित करने के लिए उन्होंने कौन से रंगों का इस्तेमाल किया।

4.    सार्वजनिक प्रस्तुति: बच्चों से कविता को गाने के लिए कहें और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करें।

5.    साक्षात्कार: बच्चों से व्यक्तिगत रूप से कविता के बारे में पूछें और यह जानने की कोशिश करें कि उन्होंने कविता को किस तरह समझा और महसूस किया।

 

6. संसाधन (Resources):

1.    ICT: इंटरनेट पर चाँद और मछली की संबंधित वीडियो और इमेज दिखाएं, जिससे बच्चों को कविता के विषय से जुड़ी दृश्य सामग्री मिल सके।

2.    चित्रकला सामग्री: बच्चों को चित्रकला करने के लिए रंगीन पेंसिल, क्रेयॉन, और पेंट्स प्रदान करें।

3.    कविता पुस्तकें: बच्चों को कविता से संबंधित अन्य पुस्तकें प्रदान करें, ताकि वे काव्य रचनाओं से अधिक परिचित हो सकें।

4.    संगीत व उपकरण: बच्चों को कविता या गीत के माध्यम से काव्य रचनाओं को समझाने और प्रस्तुत करने के लिए संगीत व उपकरण का उपयोग करें।

5.    कंप्यूटर और प्रिंटर: बच्चों द्वारा बनाए गए चित्र और रचनाओं को छापने और प्रदर्शित करने के लिए कंप्यूटर और प्रिंटर का उपयोग करें।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill):

1.    सृजनात्मकता और नवाचार: बच्चों को कविता के माध्यम से अपनी सोच और कल्पना को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करें।

2.    संचार कौशल: बच्चों को अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने और साझा करने का अवसर दें।

3.    सहकार्य और टीमवर्क: समूह कार्य के माध्यम से बच्चों को सहयोग और टीमवर्क की भावना विकसित करें।

4.    संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग: ICT उपकरणों का उपयोग करके बच्चों को डिजिटल सामग्री के साथ जुड़ने की आदत डालें।

5.    समस्या सुलझाने की क्षमता: बच्चों को "अचंभा" शब्द के संदर्भ में समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करें, ताकि वे अधिक सोच-समझ कर निर्णय लें।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application):

1.    रात में चाँद का अवलोकन: बच्चों को रात में चाँद को देखने के लिए कहें और उसका आकार व स्थिति नोट करने के लिए कहें।

2.    प्राकृतिक घटनाओं का अवलोकन: बच्चों को चाँद के आकार और बदलते चरणों को देखने के लिए प्रोत्साहित करें और उनसे उस पर आधारित सवाल पूछें।

3.    काव्य रचनाओं का सृजन: बच्चों को प्रेरित करें कि वे अपनी कविताएँ लिखें जो चाँद या आकाशीय पिंडों से संबंधित हों।

4.    सामाजिक कार्यों में भागीदारी: बच्चों को चाँद और मछली के विषय में चित्रकला कार्य करने के लिए कहें और इन कार्यों को विद्यालय के दीवारों पर प्रदर्शित करें।

5.    विज्ञान के दृष्टिकोण से चाँद का अध्ययन: बच्चों को चाँद के वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करें, जैसे चाँद का गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी पर उसका प्रभाव।

 

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पाठ योजना

पाठ 26 -  "सबसे बड़ा छाता"

 

1. संकल्पना (Concept):

1.    बच्चों को बारिश और छाता से जुड़ी घटनाओं के बारे में समझाना।

2.    "छाता" और "बड़ा/छोटा" शब्दों के विपरीतार्थक रूपों की पहचान करना।

3.    बच्चों को यह सिखाना कि एक बड़ा उद्देश्य, जैसे सबसे बड़ा छाता, कैसे कल्पना और रचनात्मकता का हिस्सा बन सकता है।

4.    कविता के माध्यम से बच्चों को विभिन्न शब्दों और उनके अर्थों को पहचानने में मदद करना।

5.    इस पाठ से बच्चों को यह समझाना कि बारिश के मौसम में कुछ चीज़ें कैसे गीली हो जाती हैं और कुछ चीज़ें कैसे बच सकती हैं।

 

2. सीखने के परिणाम (Learning Outcomes):

1.    बच्चे कविता का अर्थ समझ सकते हैं और उसके भीतर व्यक्त किए गए विचारों पर चर्चा कर सकते हैं।

2.    बच्चे "छोटा/बड़ा" शब्दों का उपयोग कर सकते हैं और उनके विपरीतार्थक रूपों को पहचान सकते हैं।

3.    बच्चे बारिश के मौसम में अपनी व्यक्तिगत अनुभवों को साझा कर सकते हैं और उनकी तुलना कविता से कर सकते हैं।

4.    बच्चे छाते के महत्व को समझ सकते हैं और यह जान सकते हैं कि बारिश में कैसे वे सूखे रह सकते हैं।

5.    बच्चे "सबसे बड़ा छाता" की कल्पना करते हुए अपनी रचनात्मकता का उपयोग कर सकते हैं और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।

 

3. शैक्षणिक रणनीतियाँ (Pedagogical Strategies):

1.    सक्रिय चर्चा: कविता पढ़ने के बाद बच्चों से बारिश के मौसम में उनकी व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करने के लिए कहें।

2.    चित्रकला कार्य: बच्चों को छाता और बारिश से संबंधित चित्र बनाने के लिए प्रेरित करें, ताकि वे कविता से जुड़े दृश्य चित्रित कर सकें।

3.    काव्य रचनात्मकता: बच्चों से कहें कि वे "सबसे बड़ा छाता" की कल्पना करें और उसकी विशेषताओं को वर्णित करें। इसके बाद उन्हें एक नई कविता लिखने के लिए प्रेरित करें।

4.    समूह कार्य: बच्चों को छोटे समूहों में बांटकर उन्हें छाता और बारिश के बारे में एक कहानी बनाने के लिए कहें।

5.    संगीत: बच्चों को बारिश के दौरान सुनाई देने वाली ध्वनियों को महसूस करने के लिए कहें और इन्हें संगीत के रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करें।

6.    चित्रों के माध्यम से संवाद: बच्चों को छाता और बारिश से संबंधित चित्र दिखाकर उन्हें कविता के भावार्थ से जोड़ने का अवसर दें।

7.    आईसीटी का उपयोग: बच्चों को बारिश और छाता पर आधारित वीडियो या इमेजेज दिखाएं ताकि वे दृश्य रूप में कविता का अनुभव कर सकें।

 

4. अन्य विषयों के साथ एकीकरण (Integration with Other Subjects):

1.    विज्ञान: बारिश के कारण पानी का पृथ्वी पर आना और पानी के संचयन के बारे में जानकारी दें।

2.    गणित: बच्चों से कहें कि वे "सबसे बड़ा छाता" के आकार को चित्रित करें और उसके वृत और वर्ग के आकार की गणना करें।

3.    भूगोल: बच्चों को बारिश के कारण होने वाले प्राकृतिक बदलावों के बारे में बताएं, जैसे जलवायु परिवर्तन।

4.    कला: बच्चों को कागज पर छाता और बारिश के दृश्य बनाने के लिए कहें, जिससे उनकी रचनात्मकता बढ़े।

5.    संगीत: बच्चों को बारिश के मौसम में सुनाई देने वाली विभिन्न ध्वनियों को पहचानने के लिए कहें, जैसे पत्तियों पर बारिश की आवाज़ या छाते की आवाज़।

 

5. मूल्यांकन (Assessment):

1.    मौखिक मूल्यांकन: बच्चों से कविता के बारे में प्रश्न पूछें और उनकी समझ की जांच करें, जैसे "बारिश में क्या गीला हो जाता है?"

2.    लिखित मूल्यांकन: बच्चों से "छोटा/बड़ा" शब्दों के विपरीतार्थक रूपों का सही उपयोग करके वाक्य लिखवाएं।

3.    व्यवहारिक मूल्यांकन: बच्चों से छाता और बारिश के बारे में एक कहानी सुनाने को कहें, जिससे उनकी कल्पनाशक्ति और भाषाशक्ति का मूल्यांकन हो सके।

4.    साक्षात्कार: बच्चों से व्यक्तिगत रूप से यह पूछें कि क्या वे "सबसे बड़ा छाता" बना सकते हैं और इसके बारे में क्या सोचते हैं।

5.    समूह चर्चा: समूहों में बच्चों से चर्चा करवाएं कि वे बारिश के मौसम में कैसे सूखे रहते हैं और क्या उपाय करते हैं, जैसे छाता लेना।

 

6. संसाधन (Resources):

1.    आईसीटी: बच्चों को बारिश और छाता से जुड़े वीडियो या इमेजेज दिखाएं, जैसे बारिश में छाता खोलने का दृश्य।

2.    चित्रकला सामग्री: बच्चों को रंगीन पेंसिल, क्रेयॉन और पेंट्स दें ताकि वे बारिश और छाते के दृश्य चित्रित कर सकें।

3.    संगीत उपकरण: बच्चों को बारिश की आवाज़ को पहचानने और उसका अनुकरण करने के लिए संगीत उपकरण दें।

4.    कविता पुस्तकें: बच्चों को अन्य कविताओं की पुस्तकें प्रदान करें, जिसमें मौसम और प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित विषय हो।

5.    कंप्यूटर और प्रिंटर: बच्चों द्वारा बनाए गए चित्र और रचनाओं को प्रदर्शित करने के लिए कंप्यूटर और प्रिंटर का उपयोग करें।

 

7. 21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल (21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill):

1.    सृजनात्मकता: बच्चों को अपनी कल्पना और रचनात्मकता का उपयोग करके "सबसे बड़ा छाता" बनाने के लिए प्रेरित करें।

2.    संचार कौशल: बच्चों को अपनी बात को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए कहें, चाहे वह मौखिक हो या लिखित।

3.    सहकार्य: समूह कार्यों के माध्यम से बच्चों में सहयोग की भावना विकसित करें।

4.    स्मार्ट सोच: बच्चों को यह सिखाएं कि वे प्राकृतिक घटनाओं और उनके समाधान के बारे में विचार कर सकते हैं।

5.    आलोचनात्मक सोच: बच्चों को बारिश और छाता के बारे में रचनात्मक रूप से सोचने के लिए प्रेरित करें।

 

8. विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग (Extension / Real-life Application):

1.    बारिश के दौरान छाता का उपयोग: बच्चों को बारिश में छाता प्रयोग करने का अभ्यास कराएं और उन्हें यह समझाएं कि कैसे छाता हमें गीला होने से बचाता है।

2.    प्राकृतिक घटनाओं का अनुभव: बच्चों को बारिश के मौसम में बाहर जाकर प्राकृतिक घटनाओं का अनुभव करने के लिए प्रेरित करें।

3.    सार्वजनिक स्थानों में छाते का उपयोग: बच्चों से यह पूछें कि वे सार्वजनिक स्थानों पर छाता किस प्रकार से उपयोग करते हैं और किसे वे अपने छाते के साथ साझा कर सकते हैं।

4.    घर में बारिश के दौरान सुरक्षा उपाय: बच्चों को यह बताएं कि कैसे वे घर के भीतर सुरक्षित रह सकते हैं, जैसे खिड़कियां बंद करना और गीले स्थानों से बचना।

5.    विज्ञान परियोजना: बच्चों से कहें कि वे "बारिश और जलवायु परिवर्तन" पर एक विज्ञान परियोजना तैयार करें, ताकि वे प्राकृतिक घटनाओं को समझ सकें।

 

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पाठ योजना

पाठ 26 - बादल

1. Concept (संकल्पना)

  • बादल आकाश में उड़ते हैं, जिनमें पानी के कण होते हैं।
  • बादल जब भारी हो जाते हैं, तो वे बारिश बनकर पृथ्वी पर गिरते हैं।
  • बादल के आकार और रूप बदलते रहते हैं।
  • वे वातावरण में तापमान और नमी के अनुसार आकार बदलते हैं।
  • बादल मौसम का महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं।

 

2. Learning Outcomes (सीखने के परिणाम)

  • छात्र बादल के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
  • वे यह समझेंगे कि बादल कैसे बनते हैं और बारिश कैसे होती है।
  • छात्र इस पाठ के माध्यम से प्रकृति से जुड़ी घटनाओं को पहचान पाएंगे।
  • छात्र कविता में वर्णित प्राकृतिक घटनाओं को पहचानकर उसका वर्णन कर सकेंगे।
  • वे बादल से जुड़ी अपनी व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करेंगे।

 

3. Pedagogical Strategies (शैक्षणिक रणनीतियाँ)

  • कहानी आधारित शिक्षण: बच्चों को कविता के माध्यम से प्राकृतिक घटनाओं के बारे में बताया जाएगा।
  • चित्रकला और रचनात्मकता: बच्चों को बादल के आकार और विभिन्न रूपों को चित्रित करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • समूह चर्चा: बच्चों को बारिश और बादल से जुड़ी अपनी व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करने के लिए प्रेरित करें।
  • प्रेरणात्मक विचार विमर्श: बच्चों से पूछा जाएगा कि वे सोचें कि कैसे बादल आते हैं और बारिश होती है।
  • प्राकृतिक उदाहरणों का उपयोग: बच्चों को आसमान में बादल देखने के लिए प्रेरित करें और उनके आकारों का विवरण करें।
  • संगीत और नृत्य: मोर के नाचने का उदाहरण देकर बच्चों को संगीत और नृत्य के माध्यम से सीखने को प्रेरित करें।
  • संवेदनात्मक गतिविधियाँ: बच्चों को बारिश के मौसम की विशेषताएँ महसूस करने के लिए विभिन्न इंद्रिय गतिविधियाँ कराई जाएंगी।

 

4. Integration with Other Subjects (अन्य विषयों के साथ एकीकरण)

  • विज्ञान: बादल, वर्षा और जल चक्र की जानकारी देने के लिए विज्ञान का उपयोग किया जाएगा।
  • गणित: बादल के आकारों का माप और तुलना करना, गणना की गतिविधियाँ।
  • भाषा (हिंदी): कविता पढ़ने और लिखने के माध्यम से भाषाई कौशल में वृद्धि।
  • संगीत: मोर के नाचने का संगीत और कविता में संगीत का प्रभाव।
  • कला (चित्रकला): बच्चों को बादल और वर्षा के दृश्य चित्रित करने के लिए कला गतिविधियाँ।

 

5. Assessment (मूल्यांकन)

  • मौखिक मूल्यांकन:
    • छात्रों से सवाल किए जाएंगे जैसे: "आपके आसपास बारिश में क्या होता है?"
    • "कविता में मोर किस तरह नाचते हैं?"
  • लिखित मूल्यांकन:
    • बादल, बारिश, और मोर से जुड़ी कुछ वाक्य लिखने के लिए दिए जाएंगे।
  • व्यवहारात्मक मूल्यांकन:
    • छात्रों से समूह में कार्य करवाकर उनकी सहभागिता और विचारों का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • सभी स्तरों के छात्रों के लिए:
    • सरल प्रश्न, दृश्य आधारित मूल्यांकन और समरूप गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
  • लघु लेखन मूल्यांकन:
    • छात्रों से वर्षा और बादल के बारे में लघु निबंध लिखने के लिए कहा जाएगा।

 

6. Resources (संसाधन)

  • ICT Resources:
    • शैक्षिक वीडियो क्लिप्स के माध्यम से बादल और वर्षा के बारे में जानकारी।
    • डिजिटल चित्रकला सॉफ़्टवेयर, जहाँ बच्चे बादल के आकार और रूप बना सकें।
    • ऑनलाइन गेम्स और गतिविधियाँ जो बादल और वर्षा के अवधारणाओं को समझाने में मदद करें।
  • कविता और चित्र पुस्तकें:
    • बादल और वर्षा पर आधारित चित्र पुस्तकें।
  • चित्र:
    • बादल और वर्षा के विभिन्न चरणों को दिखाने वाले चित्र।
  • स्मार्ट बोर्ड:
    • मौसम की जानकारी देने के लिए डिजिटल बोर्ड का उपयोग।

7. 21st Century Skills / Value / Education / Vocational Skill (21वीं सदी के कौशल / मूल्य / शिक्षा / व्यावसायिक कौशल)

  • सृजनात्मकता: बच्चों को कविता के रूप में अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।
  • सहयोग: समूह में चर्चा और गतिविधियों के माध्यम से सहयोग और संवाद कौशल को बढ़ाना।
  • समस्या समाधान: बारिश के मौसम में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान पर बच्चों से चर्चा।
  • सामाजिक जागरूकता: बच्चों को प्रकृति से जुड़ी घटनाओं के बारे में जागरूक करना।
  • संचार कौशल: बच्चों को स्पष्ट रूप से अपनी बात कहने और सुनने की क्षमता विकसित करना।

 

8. Extension / Real-life Application (विस्तार / वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग)

  • प्राकृतिक अवलोकन: बच्चों को बाहर जाकर बादल और मौसम का निरीक्षण करने के लिए प्रेरित करें।
  • समाचार पत्रों का उपयोग: बच्चों को मौसम के बारे में समाचार पढ़ने की आदत डालें।
  • स्थानीय जलवायु परिवर्तन: बच्चों को स्थानीय जलवायु के बारे में जानकारी दी जाएगी और वे इसे अपने आस-पास देख सकते हैं।
  • विज्ञान प्रयोग: बारिश को समझने के लिए पानी के वाष्पीकरण और संघनन के छोटे प्रयोग।
  • वास्तविक जीवन में समस्याओं के समाधान: छात्रों को सिखाएं कि बारिश से बचने के लिए किस प्रकार के उपायों की आवश्यकता होती है।

 

 

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निष्कर्ष:

कक्षा 2 की 'सारंगी' हिंदी पाठ्यपुस्तक न केवल भाषा सीखने का माध्यम है, बल्कि यह बच्चों की कल्पनाशक्ति, संवाद कौशल और रचनात्मकता को भी विकसित करती है। इस ब्लॉग में दिए गए सभी 26 पाठों की विस्तृत पाठ योजनाएँ शिक्षकों के लिए एक समर्पित संसाधन के रूप में कार्य करेंगी, जिससे वे अपनी कक्षाओं को अधिक रोचक, प्रभावी और छात्र-केंद्रित बना सकें।

इन पाठ योजनाओं के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में सीखेंगे, नई शब्दावली और व्याकरण की समझ विकसित करेंगे और हिंदी भाषा में आत्मविश्वास से संवाद कर सकेंगे। यह प्रयास हिंदी शिक्षण को सरल, आकर्षक और सार्थक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, हिंदी शिक्षण को एक नई दिशा दें! 🚀📚

 

 

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