अद्भुत रस किसे कहते है । अद्भुत रस की परिभाषा । रस , अर्थ , अंग , भेद या प्रकार , । हिंदी व्याकरण
6. अद्भुत रस- जब किसी सहृदय के हृदय में विस्मय नामक स्थायी भाव का विभाव,अनुभाव एवं संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तो अद्भुत रस की उत्पत्ति होती है।
अथवा
जहां पर काव्य के वर्णन में विस्मय या आश्चर्य का भाव प्रतीत होता है , वहां अद्भुत रस होता है।
उदाहरण- 1. सारी बीच नारी है,की नारी बीच सारी है।
सारी ही कि नारी है, की नारी ही कि सारी है।
2. बिनु पग चले,सुनै बिनु काना।
कर बिन करम, करै विधि नाना।
आनन रहित, सकल रस भोगी।
बिनु वाणी , वक्ता बड़ जोगी।
_____________________________
..................................................
...........................................
............................................
............................................
............................................
............................................
.................................................
............................................
............................................
..........................................
............................................
............................................
...........................................
............................................
...........................................
............................................
...........................................
...........................................
...........................................
...........................................
...........................................
...........................................
......................................................
.....................................................
.....................................................
..................................................
.................................................
.................................................
.................................................
...............................................
Post a Comment