वीर रस किसे कहते है । वीर रस की परिभाषा । रस , अर्थ ,परिभाषा , अंग , भेद या प्रकार , । हिंदी व्याकरण

4. वीर रस- जब किसी सहृदय के हृदय में उत्साह नामक स्थायी भाव का विभाव,अनुभाव एवं संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तो वीर रस की उत्पत्ति होती है।

                        अथवा


अर्थात जहां पर विषय वर्णन में वीरता , उत्साहकरिता , तेज प्रताप के भाव का बोध हो तो वहां पर वीर रस होता है।



उदाहरण- 

1.. बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी ।

     खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।


2. वह खून कहो किस मतलब का

    जिसमें उबाल का नाम नहीं ।

    वह खून कहो किस मतलब का 

    आ सके देश के काम नहीं ।



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रस की परिभाषा

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