रौद्र रस किसे कहते है । रौद्र रस की परिभाषा । रस , अर्थ , अंग , भेद या प्रकार , । हिंदी व्याकरण
5. रौद्र रस- जब किसी सहृदय के हृदय में क्रोध नामक स्थायी भाव का विभाव,अनुभाव एवं संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तो रौद्र रस की उत्पत्ति होती है।
अथवा
जहां पर काव्य में क्रोध या गुस्सा के भाव का बोध हो ,तो वहां पर रौद्र रस होता है।
उदाहरण-
1. श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे
सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े ।
करते हुए घोषणा भी हो गए उठकर खड़े।
2. माखे लखन कुटिल भयीं भौंहें।
रद-पट फरकत नयन रिसौहैं।।
कहि न सकत रघुबीर डर, लगे वचन जनु बान।
नाइ राम-पद-कमल-जुग, बोले गिरा प्रमान।
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